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भीलवाड़ा । व्यक्ति चाहे करोड़ों कमाले, हीरा मोती, जवाहरात के ढेर लगाले लेकिन रुपये पैसे से व्यक्ति अमर नहीं बन सकता। धन केवल सुविधा दे सकता हैै, मृत्यु से विजय नहीं दिला सकता। यह कहना है महामण्डलेश्वर स्वामी जगदीष पुरी महाराज का।अग्रवाल उत्सव भवन में चातुर्मास प्रवचन के दौरान आयोजित धर्मसभा को यमराज-निचिकेता प्रसंग पर उद्बोधित करते हुए स्वामी जी ने बताया कि मृत्यु साष्वत सत्य है । रुपये पैसे से मौत पर  विजय नहीं पाई जा सकती हेै। धन से सिफ सुविधाएं ही खरीदी जा सकती है । संसार में ऐसे व्यक्ति भी हैं जिनके पास दौलत तो खूब है लेकिन शांति नहीं है।  रिष्तों पर उद्बोधन देते हुए मुनिश्री ने कहा कि संसार के समस्त रिष्ते स्वार्थ के वषीभूत होकर चल रहे हैं। व्यक्ति जो कुछ करता है वो स्वयं की खुषी  के लिए करता है।  स्वयं का सुख और स्वयं का पे्रम ही सभी रिष्तों को आगे बढाता है चाहे रिष्ता पति-पत्नी का हो, बाप-बेटा का हो, भाई-भाई का हो अथवा कोई भी रिष्ता हो सिर्फ स्वयं के स्वार्थ के लिये ही रिष्ते चलते रहते हैं।  पति को पत्नि से और पत्नी को पति से सुख मिलता है, पिता यह सोचकर पुत्र का ध्यान रखता है कि वो बुढापे में उसका सहारा बनेगा वहीं पुत्र पिता से धन मिले इसीलिए रिष्तों को निभाते हैं। प्रभू से भी व्यक्ति हमेषा कुछ न कुछ लेने की लालसा में ही हाथ जोडता है या उसके द्वार जाता है।   धर्मसभा को संत महेन्द्र चैेतन्य ने ’’ सांवरिया मैं तो थां सू प्रीत लगाई’’ भजन से संगीतमय बनाया। धर्मसभा के दौरान अग्रवाल युवक-युवती परिचय सम्मेलन के फार्मो का विमोचन महामण्डलेष्वर के करकमलों से किया गया।
पधारे अतिथियों का चातुर्मास समिति के टी.सी. चैधरी, भरत व्यास व संजय निमोदिया आदि  ने स्वागत किया एवं अतिथियों ने माल्यार्पण कर महामण्डलेष्वर का आषीर्वाद प्राप्त किया।     

पंकज पोरवाल
भीलवाड़ा 
             
Axact

HINDU ASTHA

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