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क्रोध विनाश का द्वार - महामंडलेश्वर


भीलवाड़ा। क्रोध मनुष्य को पतन की ओैर ले जाता हे। क्रोध चाण्डाल से ज्यादा खतरनाक है। क्रोधी व्यक्ति को जीवन में नुकसान ही उठाना पडता है। यह कहना है महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश पुरी महाराज का।महाराज श्री अग्रवाल उत्सव भवन में चातुर्मास प्रवास के दौरान आयोजित धर्मसभा को यमराज एवं निचीकेता के प्रसंग में निचीकेता के तीन वरदानों की उपयोगिता  पर उद्बोधित कर रहे थे।
  उन्होंने बताया कि निचीकेता यमराज से तीन वरदान मांगता है जिससे वह जीवन को सफल बना लेता है। पितृ ऋण उतारना, पिता का क्रोध कम करना आदि उसके वरदान में सम्मिलित हैं। प्रसंग को आगे बढाते हुए महाराज श्री ने कहा कि जीवन को ऐसा बनाना चाहिए कि व्यक्ति जहां जाए वहीं उसकी शोभा बढ जाये। व्यक्ति का शरीर क्षणभंगुर है, आज है कल नहीं। मनुष्य के गुणों को सर्वत्र पूजा जाता हेै। ऐसे कर्म करने चाहिए कि दुनियां से जाने के बाद भी लोग आपके गुणों को याद करें, आपकी बातों को याद करें। उन्होंने कहा कि व्यक्ति जबतक परिस्थितियों के साथ मन से जुडा रहेगा तब तक उसे दुःख की ही अनुभूति होगी।  विपरित परिस्थितियों में भी यदि मनुष्य अपने मन को सद्कार्य और प्रभू भक्ति में लगा लेगा तो उसका  कल्याण संभव है। धर्मसभा को संत महेन्द्र चैतन्य जी ने  भजन की सुन्दर प्रस्तुति से धर्मसभा को संगीतमय बनाया।महामण्डलेश्वर का पन्नालाल मुरारका, गोविन्द सोडाणी,  टी.सी. चैधरी ने माल्यार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया।


संवाददाता -    पंकज पोरवाल
भीलवाड़ा