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शहर में राजसी ठाट से निकली तीज माता की सवारी





    पर्यटकों में कैमरे में कैद करने की रही होड़
   तीज का त्यौहार, घेवर-लहरिये की बहार

जयपुर। महादेव भोले शंकर से विवाह की कामना के लिए माता पार्वती ने वर्षों घोर तप किया था और   श्रावण शुक्ल तीज को उनकी तपस्या पूरी हुई थी इस उपलक्ष्य में तीज का त्यौहर महिलाएं मनाती है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की तीज बुधवार को होने के कारण महिलाओं ने मंदिरों में जाकर माता पार्वती का पूजन किया और अपनी सुहाग की लंबी उम्र की कामना की। वहीं राजधानी जयपुर में राजकाल से चली आ रही तीज माता की सवारी राजसी ठाट से जनानी डयोढ़ी से शुरू हुई। इस दौरान माता के दर्शन करने के लिए बाजारों में भीड़ उमड़ी। देशी -विदेशी पर्यटकों  इस  मनोहारी द्वश्य को अपने कैमरे में कैद करते दिखाई दिए।  वहीं शाम को सिनेमाहॉऊस में युवाओं की भारी भीड़ उमड़ी। तीज के त्यौहार पर बाजारों में विशेष रौनक रही। महिलाओं ने लहरिया साड़ियों, चूडेÞ और सुहाग के सामनों की खरीददारी की। वहीं  महिलाओं ने हरियाली से सुख-समृद्धी के प्रतीक तौर पर लहरिया धारण किया और सौलह शृंगार में सजधज कर शिवालयों में मां पार्वती की  विशेष पूजा अर्चना की गई। नववधुओं के पीहर से तीज के एक दिन पहले सिंजारा भेजा गया। श्रावणी तीज होने के कारण बाजारों में घेवर, फीणी की खुशबू से महकते दिखाई दिए। बाजार में पूरे दिन फीणी और घेवर खरीदने वालों की भीड़ दिखाई दी। इस अवसर पर महिलाओं ने घरों में पकवान बनाए।   श्रावण शुक्ल तीज को कजली तीज, हरियाली तीज, मधु श्रावणी तीज भी कहते है।