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अशान्त व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता-आचार्य मृदुल कृष्ण



जयपुर। गिर्राज संघ परिवार विश्वकर्मा, जयपुर के सोलहवें वार्षिकोत्सव पर सीकर रोड स्थित सनमून के पास चल रहे श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ समारोह के अन्तिम दिन शनिवार को परम श्रद्धेय विश्व विख्यात आचार्य श्री मृदुल कृष्ण जी महाराज ने कहा कि जीवन में कितना भी धन ऐश्वर्य की सम्पदा हो लेकिन यदि मन में शान्ति नहीं है तो वह व्यक्ति कभी भी सुखी नहीं रह सकता। वही जिसके पास धन की कमी भले ही हो सुख सुविधाओं की कमी हो परन्तु उसका मन यदि शान्त हो तो वह व्यक्ति वास्तव में परम सुखी है। वह हमेशा मानसिक असतुंलन से दूर रहेगा। उन्होने आगे सुदामा चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुदामा के जीवन में धन की कमी थी निर्धनता थी लेकिन वह स्वयं शान्त ही नहीं बल्कि परम शान्त व्यक्ति थी इसलिये सुदामा जी हमेशा सदैव सुखी रहे। क्योंकि उनके पास प्रभु नाम रूपी धन था धन की उनके जीवन में न्यूनता थी परन्तु उनके पास भाव की पूर्णता थी उनके घर में वस्त्र आभूषण का तो अन्न का एक कण भी नहीं था जिसे लेकर वे प्रभु श्री द्वाराकाधीश के पास जा पहुंचे परन्तु सुदामा की धर्मपत्नि सुशीला के मन में इच्छा थी और बडी भावना थी कि हमारे प्रति भगवान श्री द्वारका जी के पास खाली हाथ न जाये। सुशीला जी चार घर गई और चार मुटठी चावल मांगकर लाई और वही चांवल सुदामाजी भगवान श्री कृष्ण के पास लेकर गये और प्रभु ने उन चावलों का भोग बडे ही भाव के साथ लगाया। उन भाव भक्ति चावलों का भोग लगाकर प्रभु ने कहा कि हमारा भक्त हमें भाव से पुष्प फल अथवा जल ही अर्पण करता है तो उसे मैं आदर के साथ ग्रहण करूंगा। प्रभु ने चांवल ग्रहण कर सुदामा को अपार सम्पत्ति प्रदान की। आज विशेष महोत्सव के तहत फूल होली महोत्सव मनाया गया जिसमें आचार्य श्री ने होली खेल रहे बांके बिहारी.... बांके बिहारी की देख छटा.... जैसे भजनों के द्वारा खूब भक्तिरस बरसाया।