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भगवान एक,नाम अनेक है - स्वामी जगदीश पुरी जी



     भीलवाड़ा। स्वामी जगदीश पुरी जी ने कहा की जब पूतना रूपी अविधा, अंधकार, विकार अपने मन से हम दूर करते है तो भगवान स्वंय यषोदा रूपी आंगन यानि हद्रय में क्रीड़ा करते है। हर व्यक्ति के भीतर तृष्णा, कामना होती है और इसी के कारण वह बैचेन रहता है अगर व्यक्ति भक्ति का सहारा ले तो वह निश्चित रूप से अपनी बैचेनी दूर कर पायेगा। भगवान एक ही है उनके काम और रूप के अनुसार वह अनन्त नाम से जाने जाते है हमे जिस रूप मे श्रद्धा बने उसी रूप में हमें भगवान को आराध्य मानकर उनकी भक्ति करनी चाहियें।जिन्दल परिवार, भीलवाड़ा की और से होटल फलोरा पार्क के सामने ‘‘अगम’’ 147 कुमुद विहार-1, दादी धाम रोड़ पर आयोजित श्रीमदभागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ के छठेे दिन श्री कृष्ण की बाललीलाओं सहित अन्य प्रसंगों का वर्णन करते हुए उपस्थित सैकड़ो श्रद्धालुओं को स्वामी जी ने कहा कि भगवान भक्ति, समपर्ण व त्याग रूपी रस्सी से बंधतें है, और एक बार जो बंध जाते है तो फिर नही खुलते हे। क्रोध एवं अहंकार रखने वाले व्यक्ति भगवान को अपने से नही बांध सकते है।आयोजक परिवार की श्रीमती चेतना जिन्दल ने बताया की कथा के दौरान कृश्ण बालीलाओं, गिरीराज पर्वत व छप्पन भोग झांकिया सजाई गइ जो आकर्षण का केन्द्र बनी। नन्हे मुन्हे बालक- बालिकाओं ने कृष्ण के वेश मे विभिन्न प्रस्तुतियां देकर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।  कथा में स्वामी जी अपनी ओजस्वी एवं भक्तिमयी, अमृतमयी वाणी सें प्रतिदिन प्रात: 10 से दोपहर 1 बजे तक भागवत का रसास्वादन करायेगें। 10 फरवरी को कथा मे कृश्ण रूकमणी विवाह व रात्रि 8 बजे से फागोत्सव का आयोजन होगा।
कथा को लेकर की आॅटो व्यवस्था- कथा में पंहुचने के लिये जिन्दल परिवार की और से शहर के गांधीनगर मे गणेश मन्दिर, शास्त्रीनगर मे बड़ला चैराहा, बापूनगर मे नाकोड़ा चैराहा, मणिक्यनगर मे रामद्वारा, काशीपुरी मे खाटूश्याम मन्दिर के बाहर आॅटो की व्यवस्था प्रात 9 से 10 बजे तक निःशुल्क की गई है।