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पूरा शहर बना बारातघर,धुनों पर थिरके बाराती


बीकानेर। गली मौहल्लों में बैंड बाजों की गूंज,उन पर थिरकते बाराती और जगह जगह दूल्हों का सम्मान। सजा धजा शहर का पूरा परकोटा,ऐसा लग रहा था मानो पूरा शहर ही बारातघर बन गया हो  और शहरवासी बाराती। मौका था पुष्करणा समाज के सामूहिक सावे का। ओलम्पिक सावे के नाम से विख्यात इस सावे में लगभग 180 के करीब विवाह सम्पन्न हुए। जिसमें हर एक व्यक्ति प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भागीदार था। सावे को लेकर पूरा शहर दुल्हन की तरह सजा हुआ था। परकोटे की हर गली व मौहल्ले में कही विष्णु रूप तो कही आधुनिक परिवेश में दूल्हे विवाह स्थलों की ओर बारातियों के साथ जाते दिखे। जगह जगह दूल्हों का स्वागत सत्कार किया गया। बारात के कारण शहर के हर चौक चौराहों पर रौनक देखते ही बनती थी। वही जगह जगह साफे बांधने वाले लोग भी शहर के पाटों पर बैठे थे जो नि:शुल्क विभिन्न प्रकार के साफे बांध रहे थे। उधर बैड वाले व घोडिय़ों वाले भी इतने व्यस्त देखे गये कि एक बारात को ढुकाव करवाने के साथ ही बिना रूके दूसरी बुकिंग के लिये रवाना होते नजर आये। जब कोई दूल्हा आता घरों की छतों व मौहल्लों में खड़े लोगों के लिये कौतूहल का विषय बन जाता। उसको देखने के लिये शहर के अन्य समाज के लोगों की भीड़ भी बड़ी संख्या में जुटी। बारात आगमन से पूर्व जगह जगह खिरोड़े व मायरे की रस्म अदा करने की परम्परा निभाई गई। एक साथ इतने अधिक मायरे और खिरोड़े होने के कारण शहर भर में मांगलिक गीतों की गूंज रही।
विष्णु रूप में पहले पहुंचे दूल्हों का सम्मान
 सावे में विष्णु रूप में सबसे पहले अपने ससुराल की ओर पहुंचने वाले दूल्हों का मोहता चौक,तेलीवाड़ा रोड़,बारह गुवाड़,व्यासों का चौक आदि में स्वागत किया गया। मोहता चौक में मेघराज भादाणी परिवार की ओर से पहले तीन दूल्हों व विवाह करके आये प्रथम दूल्हे को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। वही बारह गुवाह में रमक झमक संस्थान की ओर से प्रथम तीन दूल्हों का स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर सम्मान किया। साथ ही प्रथम दूल्हे को पशुपतिनाथ जाने की यात्रा टिकट भी दी। वही तेलीवाड़ा रोड़ पर कोल्ड डिग्स की बोतल के साथ स्मृति चिन्ह दिया गया।
पंडितों की रही व्यस्तता
एक ही दिन अधिक शादियां होने के कारण विवाह संस्कार सम्पन्न करवाने वाले पंडित भी व्यस्त रहे। एक एक पंडि़त ने करीब तीन से चार विवाह में मंत्रोचारण के साथ फेरे करवाये। जिसके चलते बिना रूके पंडितों ने विवाह के कार्यक्रम करवाये और आगे की ओर चलते बने।
बारातियों की रही पूछ
बारातों की संख्या अधिक होने के कारण बारातियों की कमी हर एक बारात में नजर आई,जिसके चलते बारातियों की पूछ रही। विवाह वाले घरों के बड़े बर्जुग रह रह कर पडौसियों,रिश्तेदारों व मित्रों को बारात में चलने का बार  बार निमंत्रण दे रहे थे। इतना ही नहीं सोशल मीडिया के जरिये भी निमंत्रण देने का काम दिन भर जारी रहा।
जगह जगह सेवा
बारातियों का स्वागत करने के लिये जगह जगह सेवा शिविर लगे थे।  संत कृपा फाउंडेशन की तरफ से पुष्करणा सावा 2015 ओलंपिक के उपलक्ष्य में रत्तानी व्यासों के चौक में सभी नागरिको के लिए बादाम केशर मलाई युक्त दुध का आयोजन रखा गया। जिसका शुभारंभ  विजय मोहन जोशी, दर्जाराम और किशन सारस्वत द्वारा किया गया। कार्यक्रम में संत श्रवण व्यास, युवा नेता वेद व्यास, सुरेश बिस्सा, बालकिशन व्यास, श्याम रंगा, मुन्ना महाराज, भाऊ रंगा, दामोदर रंगा, जीतेन्द्र व्यास, भाया महाराज, कानू, जग्गू रंगा, बल्ला, गिरिराज जोशी, मुरली महाराज, प.श्री नाथ, प. मनीष, राधे-राधे और समस्त मोहल्ला वासियों ने सहयोग किया।