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धर्मनगरी नवलगढ़ में संतो के सानिध्य में मनाई गई गोपाष्टमी

फोटो - मुरलीमनहोर चोबदार 
रिपोर्ट - विकास डिडवानिया 
नवलगढ़ - धर्मनगरी नवलगढ़ में गोपाष्टमी धूमधाम से मनाई गयी। सुबह सुबह महिलाओं ने गौ माता की पूजा  उन्हें गुड़ खिलाकर आशीर्वाद लिया। भगवान् रघुनाथ जी व् गोपीनाथजी की सवारी दोपहर में श्री रघुनाथजी के मंदिर से चली जो मिंतर चौक, श्री गोपीनाथ मंदिर से होती हुई गौशाला पहुंची।  शोभायात्रा में 1008 महामंडलेश्वर श्री अर्जुनदास जी महाराज पीठाधीश्वर दादूद्वारा बगड़ भी रथ पर विराजमान थे। इससे पहले पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री कमल मुरारका ने गौशाला पहुंचकर गो माता की पूजा की , साथ में प्रबंध कमेटी के सचिव कैलाश परसरामपुरिया व् श्रीकांत मुरारका थे ,शोभायात्रा में कई झांकिया
,स्कूली बच्चे, महिलाये गीत गाती हुई ,शहर के गणमान्य नागरिक गण जिसमे  श्रीकांत मुरारका , मातादीन झुनझुनवाला ,मुरारीलाल सुंदरिया ,ओमेंद्र चारण , योगेंद्र मिश्रा, अनु महृषि , दिलीप चोखाणी , धर्मेंद्र पारीक ,रामकुमार सिंह राठौड़ , जगदीश जांगिड़ ,मुरलीमनोहर चोबदार ,सीताराम शर्मा ,डॉ  राजेंद्र शर्मा ,तरुण मिंतर ,अरविन्द शर्मा ,देवदत्त मुरारका ,प्रो सुनील गुप्ता , जगदीश कड़वासरा ,विशाल पंडित आदि थे । गौशाला में अपने प्रवचन में  1008 महामंडलेश्वर श्री अर्जुनदास जी महाराज पीठाधीश्वर दादूद्वारा बगड़ ने गायों की महिमा का बखान करते हुए कहा कि गाय के शरीर में सभी देवताओं
का वास माना गया है। गाय के दूध दही घी एंव गोबर से स्वास्थ्य सम्पदा एंव समृद्धि मिलने के साथ ही कई अध्यात्मिक लाभ होते हैं। गाय के शरीर में सूर्य की गौ किरण शोषित करने की अदभुत शक्ति होने से उसके दूध घी आदि में स्वर्ण क्षार पाये जाते हैं जो आरोग्य व प्रसन्नता के लिए ईश्वरी वरदान है। पुण्य व स्वस्थ कल्याण चाहने वाले गृहस्थों को गौ सेवा अवश्य करनी चाहिए। गौ सेवा से सुख समृद्धि होती है। और  गौ सेवा से धन सम्पत्ति आरोग्य आदि मनुष्य जीवन को सुखकर बनाने वाले सम्पूर्ण साधन सहज ही प्राप्त हो जाते हैं। मानव गौ की महिमा को समझकर उससे प्राप्त होने वाले दूध दही गोबर आदि पंचगव्यों का लाभ लें तथा अपने जीवन को स्वस्थ्य सुखी बनाये। इस उददेश्य से हमारे करूणावान ऋषियों महापुरूषों ने गौ को माता का दर्जा दिया है तथा कार्तिक शुल्क अष्टमी के दिन गौ पूजा की परम्परा स्थापित की है। इस दिवस को गोपाष्टमी कहा गया है जो कि भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है क्योंकि मानव जाति की समृद्धि गौवंश की समृद्धि के साथ जुड़ी है।