Hindu Astha

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

नृसिंह जयंती पर निकाली कलश यात्रा



प्रदीप कुमार सैनी

महाअभिषेक व हवन यज्ञ कर किया भंडारा

दांतारामगढ़ (सीकर)।
कस्बे के श्री खेड़ापति बालाजी धाम के पीछे तालाब रोड़ पर स्थित प्राचीन श्री नृसिंह मंदिर में नृसिंह जयंती व तृतीय मूर्ति स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया गया। इसके तहत विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। शनिवार को सुबह दांता के सीतारामजी के मंदिर में 201 कलशों की पूजन के बाद कलश यात्रा रवाना हुई जो कस्बे के मुख्य मार्गों से होती हुई श्री नृसिंह मंदिर पहुंची। जहां महिलाओं ने कलश चढ़ाकर व शीश नवाकर मनौतियां मांगी। यात्रा के मंदिर प्रांगण पहुंचने पर महिलाओं को फलाहार दिया गया। कलश यात्रा में बैंड बाजे की सुमधुर धुनों के साथ बच्चे, महिलाएं व पुरूष नाचते गाते झूमते हुए चल रहे थे। यात्रा का जगह जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। दोपहर सवा बारह बजे विद्वान पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चार द्वारा नृसिंह भगवान व लक्ष्मी माता का दूध, दही, जल, घी, शक्कर, शहद समेत विभिन्न सात्विक  पदार्थों से महाभिषेक किया गया। महाअभिषेक के बाद मंदिर परिसर में नृसिंह भगवान का जन्मोत्सव मनाया गया। जन्मोत्सव में महिलाओं द्वारा गाए गए मंगल गीतों से वातावरण भक्तिमय रहा। इसके बाद विभिन्न पंड़ितों के मंत्रोच्चार द्वारा हवन यज्ञ हुआ जिसमें मंदिर के पुजारी रमाप्रकाश शर्मा सहित अनेक यजमानों ने हवन पूर्णाहुतियां दी। भगवान नृसिंह को भोग लगाकर दोपहर से महाप्रसाद भंडारा शुरू हुआ जो देर शाम तक लगातार चलता रहा। मंदिर परिसर को रंगीन लाइटों, झालरों व गुब्बारों से सजाया गया हैं।

जीर्ण शीर्ण अवस्था में था दांता का श्री नृसिंह मंदिर   



दांता कस्बे के श्री खेड़ापति बालाजी मंदिर के पूर्व दिशा में स्थित दांतारामगढ़ क्षेत्र का एकमात्र प्राचीन नृसिंह जी का मंदिर दांता ठिकाने के द्वितीय राजा रतनसिंह द्वारा 284 साल पहले विक्रम संवत 1795 सन् 1738 में निर्मित कराया था जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था 3 वर्ष पूर्व जिसका जीर्णोंद्धार करके भव्य रूप दिया गया। पुराने जमाने में लोग नृसिंह मंदिर को शक्करबंदेवरा के नाम से पुकारते थे। क्योंकि यहीं सबसे पहला देवस्थान था जिसके ऊपर शिखर बंद बना था।

353 साल पहले बसा था दांता

दांता को आज से 353 वर्ष पूर्व विक्रम संवत 1726 में आखातीज को ठा. अमरसिंह ने दांता के नाम से बसाया था। दांता संस्थापक  ठा. अमरसिंह से लेकर अंतिम शासक ठा. मदनसिंह तक 16 राजाओं ने राज किया । दांता के संस्थापक ठा. अमरसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र रतनसिंह राजा बने। उसी काल में उन्होंने दांता में नृसिंह भगवान व हनुमान मंदिर बनवाये थे। विक्रम संवत 1795 में पहाड़ पर गढ़ का निर्माण करवाया था।