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हिन्दू धर्म के पाँच 'ग' और उनका सनातन धर्म में महत्व व प्राचीनता


यह पाँच "ग" – गौ, गंगा, गीता, गायत्री, और गुरु – हिन्दू धर्म के पंचस्तंभ के रूप में माने जाते हैं। ये जीवन को धर्म, तप, ज्ञान, शुद्धि और मोक्ष की ओर ले जाते हैं।



प्रथम -  गौ (गाय) – करुणा और धर्म की प्रतीक

 प्राचीनता:

ऋग्वेद (10.87) में गौ की प्रशंसा की गई है – "गावो मे, अद्य दिवं यन्तु" – गायें स्वर्ग ले जाने वाली हैं।

गाय को "अघ्न्या" कहा गया – जिसका अर्थ है, "जिसे मारा नहीं जा सकता।"

 महत्व:

गाय का प्रत्येक अंग देवताओं का निवास स्थान है।



 "गवां मध्ये स्थितं सर्वं, विश्वं च चराचरम्।" – पद्म पुराण


यज्ञ, पंचगव्य, अन्न, दुग्ध, गोबर, गोमूत्र – सब गौ से प्राप्त होते हैं।


 संतों की वाणी:

संत एकनाथ: "गाय हमारे घर की लक्ष्मी है। उसके बिना धर्म और यज्ञ अधूरे हैं।"

स्वामी दयानंद सरस्वती: "गाय की रक्षा आर्यावर्त की आत्मा की रक्षा है।"

 दृष्टांत:

श्रीकृष्ण को गोविंद, गोपाल, गोवर्धनधारी कहा गया। उनका सम्पूर्ण बाल्यकाल गौ-सेवा में बीता।

कण्व ऋषि का आश्रम गौपालन से चलता था। महर्षि वशिष्ठ के गोत्र की पहचान भी "नंदिनी" गाय से होती है।


द्वितीय  गंगा – पवित्रता और मोक्ष की धारा

 प्राचीनता:

ऋग्वेद (10.75) में गंगा को देव-नदी कहा गया है।

रामायण, महाभारत, पुराणों में भागीरथ द्वारा गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने की कथा प्रसिद्ध है।

 महत्व:

गंगा जल पापनाशक, तर्पणप्रदायक, संस्कारोचित माना गया है।

अंतिम संस्कार और श्राद्ध गंगा जल के बिना अधूरे हैं।

 संतों की वाणी:

आदि शंकराचार्य: "गंगे च यमुने चैव..." – गंगा में स्नान करने से अंतःकरण शुद्ध होता है।

तुलसीदास: "गंगा तट तुलसी बसा..." – गंगा तट पर वास से साक्षात भगवद्भाव जागृत होता है।

 दृष्टांत:

भीष्म पितामह का अंतिम संस्कार गंगाजल से ही हुआ।

कबीर ने कहा: “गंगा की धार में चित्त लगाओ, वही भवसागर पार कराएगी।”


तृतीय  गीता – आत्मा का विज्ञान और धर्म का सार

 प्राचीनता:

महाभारत (भीष्म पर्व) में 700 श्लोकों की भगवद्गीता भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्धभूमि में उपदेश स्वरूप कही गई।

 महत्व:

गीता वेद, उपनिषद, ब्रह्मसूत्र का सार है।

यह कर्म, भक्ति, योग, ज्ञान और वैराग्य की पराकाष्ठा है।

 संतों की वाणी:

विवेकानंद: “भारत का प्रत्येक युवक यदि गीता समझ जाए, तो वह स्वयं क्रांति है।”

महात्मा गांधी: “जब-जब मुझे अंधकार ने घेरा, तब-तब गीता दीपक बनी।”

 दृष्टांत:

अर्जुन मोह से जकड़ा हुआ था – गीता ज्ञान ने उसे धर्म-स्थापन की प्रेरणा दी।

भगवत्पाद शंकराचार्य ने गीता पर भाष्य लिखकर अद्वैत वेदान्त को आधार दिया।


चतुर्थ  गायत्री – ब्रह्मविद्या की जननी

 प्राचीनता:

ऋग्वेद 3.62.10 में गायत्री मंत्र का प्राकट्य।

 इसे वेदमाता कहा गया – "गायत्री छन्दसामहम्" (गीता 10.35)।

 महत्व:

गायत्री मंत्र बुद्धि, तेज, स्मृति और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।

संस्कारों, यज्ञों, जन्म-मरण सभी में इसका उपयोग होता है।

 संतों की वाणी:

स्वामी विवेकानंद: "गायत्री मंत्र विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक और शक्तिशाली प्रार्थना है।"

पं. श्रीराम शर्मा आचार्य: “गायत्री साधना आत्म-परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण का मूल है।”

 दृष्टांत:

विश्वामित्र ऋषि ने गायत्री मंत्र की साधना से ब्रह्मर्षि पद पाया।

सत्यकाम जाबाल ने गायत्री साधना से परम सत्य को जाना।


पंचम  गुरु – आत्मज्ञान का द्वार

 प्राचीनता:

उपनिषदों में गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं:


 "आचार्यवान् पुरुषो वेद।" – छांदोग्य उपनिषद 6.14.2


 महत्व:

गुरु ही शिष्य को अज्ञान से ज्ञान, माया से मोक्ष और सांसारिक भ्रम से ब्रह्मतत्त्व की ओर ले जाता है।

"गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।

 गुरुः साक्षात्परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥"

 संतों की वाणी:

कबीर:

 "गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय?

 बलिहारी गुरु आपने, जिन गोविंद दियो बताय।"



रवींद्रनाथ टैगोर: “सच्चा गुरु वह है जो तुम्हें तुम्हारी आत्मा से मिला दे।”



 दृष्टांत:

एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य को बिना संपर्क किए ही सर्वोच्च सम्मान दिया।

रामकृष्ण परमहंस जैसे गुरु ने विवेकानंद जैसे महात्मा को तैयार किया।


 आधुनिक शोध और वैज्ञानिक पहलू:

 1. गाय:

AIIMS व NDRI की रिसर्च: गौमूत्र में कैंसररोधी तत्व।

गोबर से बनी बायोगैस, खाद और रेडिएशन शील्डिंग में उपयोग।

 2. गंगा जल:

IIT रुड़की व NEERI की रिपोर्ट:

 गंगाजल में बायोएक्टिव एजेंट हैं जो इसे लंबे समय तक शुद्ध रखते हैं।

 3. गीता:

MIT, Harvard में गीता पर कोर्स।

गीता में decision-making models, stress management का आधार।

 4. गायत्री:

NASA की रिपोर्ट (2001) – गायत्री मंत्र का उच्चारण mental resonance को बढ़ाता है।

 5. गुरु:

Positive Psychology में गुरु या mentor की उपस्थिति मानसिक स्वास्थ्य और लक्ष्य प्राप्ति में सहायक सिद्ध हुई है।


 निष्कर्ष:

हिन्दू धर्म की आत्मा इन पंच “ग” में ही बसती है।

तत्व

अर्थ

कार्य

गौ

करुणा, धर्म, यज्ञ

जीवन रक्षा व धर्म स्थापन

गंगा

पवित्रता, मोक्ष

पापों की शुद्धि

गीता

आत्मज्ञान, धर्म

जीवन निर्णय व सद्बुद्धि

गायत्री

वेदमाता, ऊर्जा

मंत्र शक्ति, चित्त शुद्धि

गुरु

ज्ञान का पथदर्शक

मोक्ष का द्वार



 “पाँच गों की सेवा, स्मरण और पालन – यही सनातन धर्म की रक्षा और आत्मकल्याण का मार्ग है।”

हरि: ॐ तत्सत

 जय गौमाता। जय गंगे। जय गीता। जय गायत्री। जय गुरु। जय सनातन धर्म!

 



धर्मध्वजा वाहक- पंकज ओझा RAS