Hindu Astha

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

सावन सोमवार: भारतीय शास्त्र, दर्शन और साधना की दृष्टि में महत्व


सावन मास, भारतीय संस्कृति में केवल एक ऋतुचक्र का हिस्सा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नयन और शिव तत्त्व की उपासना का परम अवसर है। यह महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है और विशेषकर सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। 


वेदों से लेकर उपनिषदों, पुराणों, तांत्रिक ग्रंथों, संतवाणी और दर्शन शास्त्र तक—हर स्तर पर सावन के सोमवार को मोक्ष का द्वार, शांति का साधन, और मनोकामनाओं की सिद्धि का माध्यम माना गया है।


 शास्त्रीय और पौराणिक आधार

 शिव पुराण (विद्येश्वर संहिता) में वर्णित है:

“श्रावणस्य विशेषेण सोमवारे विशेषतः।

 यः पाययति देवेशं तस्य पुण्यं न वर्ण्यते॥”

भावार्थ:

 श्रावण के सोमवार को शिवजी को जल अर्पण करने वाले व्यक्ति को ऐसा पुण्य प्राप्त होता है जिसकी तुलना नहीं की जा सकती।


 स्कंद पुराण (श्रावण माहात्म्य खंड):

“श्रावणे च सोमवारे यः शिवं संपूजयेत्।

 सर्वपापविनिर्मुक्तो शिवलोके महीयते॥”

श्रावण सोमवार को शिव की पूजा करने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होकर शिवलोक को प्राप्त करता है।

 पौराणिक कथा:


माता पार्वती ने शिव को पति रूप में प्राप्त करने हेतु श्रावण मास में सोमवार का व्रत रखा। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसीलिए यह व्रत स्त्रियों के लिए सौभाग्य व संतान, और कुंवारी कन्याओं के लिए योग्य वर प्राप्ति हेतु अत्यंत शुभ माना गया।

 वेद, उपनिषद और दर्शन में शिव

 वेदों में शिव:

रुद्र सूक्त में शिव को सर्वव्यापी, कल्याणकारी, शांतिदूत और तपस्वी बताया गया है।

शिव को अग्नि, वायु, चंद्र, प्राण और आत्मा का प्रतीक कहा गया है।

 उपनिषदों में शिव:

कैवल्योपनिषद में शिव को परब्रह्म और अद्वैत ज्ञान का स्वरूप कहा गया है।

शिव को "अखिल ब्रह्मांड के मूल कारण" के रूप में स्वीकार किया गया है।


 शिव संहिता:

"श्रवण मासे सोमवारे उपवासं च यः कृते।

 भुक्तिं मुक्तिं च लभते शिवलोके च गच्छति॥"

श्रावण के सोमवार को जो उपवास करता है, वह भौतिक सुख और आध्यात्मिक मुक्ति दोनों प्राप्त करता है।


 पूजा विधि और साधना के लाभ

 विधि:

प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

शिवलिंग का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, जल) से अभिषेक करें।

बेलपत्र, धतूरा, आक, शमीपत्र आदि चढ़ाएं।

"ॐ नमः शिवाय" का 108 बार जप करें।

रुद्राष्टक, शिव चालीसा, शिवाष्टक, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।

संध्या को दीप जलाकर शिव आरती करें।

फलाहार या निर्जल व्रत रखें।

 व्रत एवं पूजा के लाभ:

लाभ  विवरण


 मनोकामनाओं की पूर्ति

विशेष रूप से विवाह, संतान व समृद्धि से जुड़ी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.

 मानसिक शांति

शिव भक्ति से चित्त में स्थिरता और करुणा का भाव उत्पन्न होता है.


 नकारात्मक ऊर्जा का नाश

ग्रह दोष, शनि पीड़ा, भूत-प्रेत बाधा आदि का शमन होता है.


समृद्धि व सौभाग्य

दरिद्रता का नाश और सौभाग्यवती जीवन की प्राप्ति


 मोक्ष मार्ग प्रशस्त

कर्मों का क्षय होता है और आत्मा शिव में लीन होती है


 शिव स्तुति, श्लोक, और चौपाइयाँ



🕉 पंचाक्षरी मंत्र:


ॐ नमः शिवाय — यह मंत्र सर्व रोग, दोष, भय और मोह से मुक्ति देने वाला है।


 रुद्राष्टक (तुलसीदास):


“नमामीशमीशान निर्वाणरूपं

 विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम्…”



 शिव चालीसा (चौपाई):

“जय गिरिजा पति दीन दयाला,

 सदा करत संतन प्रतिपाला…”


 भारतीय संतों और दार्शनिकों की दृष्टि में सावन सोमवार:-



संत / दार्शनिक/ दृष्टिकोण


आदि शंकराचार्य:-


शिव को सच्चिदानंद और अद्वैत ब्रह्म बताते हैं.


तुलसीदास:-


रुद्राष्टक के माध्यम से शिव की निर्गुण और सगुण दोनों रूपों की वंदना करते हैं



रामकृष्ण परमहंस:-


शिव भक्ति को त्याग, निर्मलता और साधना का शुद्धतम रूप मानते थे.



स्वामी विवेकानंद:-


शिव को ध्यान, योग और आत्मज्ञान का आदर्श मानते हैं.



कबीरदास:-


शिव को निराकार ब्रह्म और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक मानते हैं

.



 निष्कर्ष:-


🔱सावन सोमवार का व्रत केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि भारतीय धर्म, योग, तंत्र, दर्शन और भक्ति का समन्वय है।

 यह व्रत शास्त्रों में प्रमाणित, पुराणों में पूजित, और दर्शनों में प्रतिष्ठित है।


“श्रद्धया व्रतम् कृत्वा, सर्वान् कामान् अवाप्नुयात्।”

 (—शास्त्रवाक्य)

 श्रद्धा से व्रत करने पर सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।


जो सावन में शिव को समर्पित हो जाता है, उसके जीवन में सुख, शांति, सिद्धि और मोक्ष — चारों पुरुषार्थ साकार हो जाते हैं।



पंकज ओझा RAS
     धर्मध्वजा वाहक।।