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आज का पंचांग | Aaj ka Panchang | 30 AUGUST 2025

 


पंडित रामगोपाल डोलियां 

जय श्री राम 

आज का हिन्दू पंचांग 


 दिनांक - 30 अगस्त 2025

 दिन -  शनिवार

 विक्रम संवत 2082

 शक संवत -1947

अयन - दक्षिणायन

ऋतु - शरद ॠतु 

मास - भाद्रपद

 पक्ष - शुक्ल 

तिथि - सप्तमी रात्रि 10:56 तक तत्पश्चात अष्टमी

नक्षत्र - विशाखा दोपहर 02:37 तक तत्पश्चात अनुराधा

 योग - इन्द्र शाम 03:10 तक तत्पश्चात वैधृति

राहुकाल - सुबह 09:30 से सुबह 11:05 तक

 सूर्योदय - 06:11

सूर्यास्त -  06:50

दिशाशूल - पूर्व दिशा मे

*व्रत पर्व विवरण - 

विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


 ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')


 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')


 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।(पद्म पुराण)


      


राधा अष्टमी 


31 अगस्त, रविवार को श्रीराधा अष्टमी है। जन्माष्टमी के पूरे 15 दिन बाद ब्रज के रावल गांव में राधा जी का जन्म हुआ । भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी व्रत रखा जाता है। पुराणों में राधा और रुक्मिणी को एक ही माना जाता है। जो लोग राधा अष्टमी के दिन राधा जी की उपासना करते हैं, उनका घर धन संपदा से सदा भरा रहता है।


 पुराणों के अनुसार राधा अष्टमी


स्कंद पुराण के अनुसार राधा श्रीकृष्ण की आत्मा हैं। इसी कारण भक्तजन सीधी-साधी भाषा में उन्हें 'राधारमण' कहकर पुकारते हैं।


 पद्म पुराण में 'परमानंद' रस को ही राधा-कृष्ण का युगल- स्वरूप माना गया है। इनकी आराधना के बिना जीव परमानंद का अनुभव नहीं कर सकता।


 भविष्य पुराण और गर्ग संहिता के अनुसार, द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी पर अवतरित हुए, तब भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन महाराज वृषभानु की पत्नी कीर्ति के यहां भगवती राधा अवतरित हुई। तब से भाद्रपद शुक्ल अष्टमी 'राधाष्टमी' के नाम से विख्यात हो गई।


नारद पुराण के अनुसार 'राधाष्टमी' का व्रत करनेवाला भक्त ब्रज के दुर्लभ रहस्य को जान लेता है।


पद्म पुराण में सत्यतपा मुनि सुभद्रा गोपी प्रसंग में राधा नाम का स्पष्ट उल्लेख है। राधा और कृष्ण को 'युगल सरकार' की संज्ञा तो कई जगह दी गई है।


        


घर में सदैव आर्थिक परेशानी रहती है तो 


 स्कंदपुराण और दूसरे ग्रंथों में बात आयी है कि जिन लोगों के घर में सदैव आर्थिक परेशानी रहती है उनके लिए भाद्र शुक्ल अष्टमी (31 अगस्त, रविवार) के दिन से लेकर आश्विन कृष्ण अष्टमी (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी) माने 14 सितम्बर, रविवार तक महालक्ष्मी माता का पूजन विधान स्कंदपुराण, आदि ग्रंथो में बताया गया है और इस सरल विधान के अनुसार 31 अगस्त से 14 सितम्बर तक नित्य प्रात: लक्ष्मी माता का सुमिरन करते हुए – ॐ लक्ष्‍मयै नम: ॐ लक्ष्‍मयै नम: ॐ लक्ष्‍मयै नम: मंत्र का 16 बार प्रति दिन जप करें और फिर लक्ष्मीमाता का पूजन करते हुए एक श्लोक पाठ करें  । इससे समय, शक्ति खर्च नहीं होगी उल्टा  पुण्य भी  बढ़ेगा | श्लोक इस प्रकार है-


 धनं धान्यं धराम हरम्यम, कीर्तिम आयुर्यश: श्रीयं,

दुर्गां दंतीन: पुत्रां, महालक्ष्मी प्रयच्‍छ मे '

 "ॐ श्री महालक्ष्मये नमः" "ॐ श्री महालक्ष्मये नमः"




 पंडित रामगोपाल डोलियां