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आज का पंचांग | Aaj ka Panchang | 19 SEPTEMBER 2025

 

 आज का हिन्दू पंचांग 


   दिनांक - 19 सितम्बर 2025

 दिन -  शुक्रवार

  विक्रम संवत 2082

  शक संवत -1947

  अयन - दक्षिणायन

  ऋतु - शरद ॠतु 

  मास - आश्विन

 पक्ष - कृष्ण 

  तिथि - त्रयोदशी रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात चतुर्दशी

  नक्षत्र - अश्लेशा सुबह 07:05 तक तत्पश्चात मघा

  योग - सिद्ध रात्रि 08:41 तक तत्पश्चात साध्य

  राहुकाल - सुबह 11:01 से दोपहर 12:32 तक

  सूर्योदय - 06:21

  सूर्यास्त -  06:28

  दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे

  व्रत पर्व विवरण - त्रयोदशी का श्राद्ध,मघा श्राद्ध,प्रदोष व्रत,मासिक शिवरात्रि

  विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

 

 चतुर्दशी तिथि पर न करें श्राद्ध 


 20 सितम्बर 2025 शनिवार को आग - दुर्घटना - अस्त्र - शस्त्र - अपमृत्यु से मृतक का श्राद्ध


  हिंदू धर्म के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में परिजनों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का विधान है । महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया है कि इस तिथि पर केवल उन परिजनों का ही श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो।


  इस तिथि पर अकाल मृत्यु (हत्या, दुर्घटना, आत्महत्या आदि)  से मरे पितरों का श्राद्ध करने का ही महत्व है। इस तिथि पर स्वाभाविक रूप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उन परिजनों का श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन करना श्रेष्ठ रहता है।


  महाभारत के अनुसार पर्व अनुसार पितरों की मृत्यु स्वाभाविक रुप से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करने से श्राद्धकर्ता विवादों में घिर जाता हैं। उन्हें शीघ्र ही लड़ाई में जाना पड़ता है। जवानी में उनके घर के सदस्यों की मृत्यु हो सकती है।


 चतुर्दशी श्राद्ध के संबंध में ऐसा वर्णन कूर्मपुराण में भी मिलता है कि चतुर्दशी को श्राद्ध करने से अयोग्य संतान होती है।


 याज्ञवल्क्यस्मृति के अनुसार, भी चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। इस दिन श्राद्ध करने वाला विवादों में फस सकता है।


 चतुर्दशी तिथि पर अकाल (हत्या), आत्महत्या (दुर्घटना), रुप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने का विधान है।


  जिन पितरों की अकाल मृत्यु हुई हो व उनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करने से वे प्रसन्न होते हैं।


       


 सर्व पितृ अमावस्या 


  21 सितम्बर 2025 रविवार को सर्व पितृ अमावस्या है।


  जिन्होंने हमें पाला-पोसा, बड़ा किया, पढ़ाया-लिखाया, हममें भक्ति, ज्ञान एवं धर्म के संस्कारों का सिंचन किया उनका श्रद्धापूर्वक स्मरण करके उन्हें तर्पण-श्राद्ध से प्रसन्न करने के दिन ही हैं श्राद्धपक्ष।


  जिस प्रकार चारागाह में सैंकड़ों गौओं में छिपी हुई अपनी माँ को बछड़ा ढूँढ लेता है उसी प्रकार श्राद्धकर्म में दिए गये पदार्थ को मंत्र वहाँ पर पहुँचा देता है जहाँ लक्षित जीव अवस्थित रहता है।


  पितरों के नाम, गोत्र और मंत्र श्राद्ध में दिये गये अन्न को उसके पास ले जाते हैं, चाहे वे सैंकड़ों योनियों में क्यों न गये हों। श्राद्ध के अन्नादि से उनकी तृप्ति होती है। परमेष्ठी ब्रह्मा ने इसी प्रकार के श्राद्ध की मर्यादा स्थिर की है।"


  सर्व पितृ अमावस्या को पितर भूमि पर आते हैं । उस दिन अवश्य श्राद्ध करना चहिये।


  उस दिन श्राद्ध नही करते हैं तो पितर नाराज होकर चले जाते हैं ।


  आप यदि उस दिन श्राद्ध करने में सक्षम् नही हैं  तो उस दिन तांबे के लोटे में जल भरकर के भगवदगीता के सातवें अध्याय का पाठ करें  और मंत्र  "ॐ नमो भगवते वासुदेव"एवं " ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधा देव्यै स्वाहा" की 1-1 माला करके सूर्यनारायण भगवान को जल का अर्घ्य दें ।


  और सूर्य भगवान को बगल ऊँची करके बोले की मैं अपने पितरों को प्रणाम करता हूँ।


  वे मेरी भक्ति से ही तृप्तिलाभ करें। मैंने अपनी दोनों बाहें आकाश में उठा रखी हैं।और जिनका श्राद्ध किया जाये उन माता, पिता, पति, पत्नी, संबंधी आदि का स्मरण करके उन्हें याद दिलायें किः "आप देह नहीं हो। आपकी देह तो समाप्त हो चुकी है, किंतु  आप विद्यमान हो।


 आप अगर आत्मा हो.. शाश्वत हो... चैतन्य हो। अपने शाश्वत स्वरूप को निहार कर हे पितृ आत्माओं ! आप भी परमात्ममय हो जाओ। हे पितरात्माओं ! हे पुण्यात्माओं !अपने परमात्म-स्वभाव का स्मऱण करके जन्म मृत्यु के चक्र से सदा- सदा के लिए मुक्त हो जाओ। हे पितृ आत्माओ !


  आपको हमारा प्रणाम है। हम भी नश्वर देह के मोह से सावधान होकर अपने शाश्वत् परमात्म-स्वभाव में जल्दी जागें.... परमात्मा एवं परमात्म-प्राप्त महापुरुषों के आशीर्वाद आप पर हम पर बरसते रहें.... ॐ....ॐ.....ॐ...." पितृपक्ष के विषय में शास्त्रों में बताया गया है कि इन दिनों मनुष्य को अपना आचरण शुद्ध और सात्विक रखना चाहिए। इसलिए भोजन में मांस-मछली, मदिरा और तामसिक पदार्थों से परहेज रखना चाहिए।


  क्योंकि आप जो भोजन करते हैं उनमें से एक अंश पितरों को भी प्राप्त होता है। इन दिनों मन और भावनाओं पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें और काम-वासना से बचें।


 ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि जिनके पितर नाराज हो जाते हैं उनकी ग्रह दशा अच्छी भी हो तब भी उनके जीवन में हर पल परेशानी बनी रहती है।


  श्राद्ध पक्ष में सयंम-नियम पालन करें, नहीं तो पितर देंगे शाप...


   श्राद्ध पक्ष में गाय को गुड़ के साथ रोटी खिलाएं और कुत्ते, बिल्ली और कौओं को भी आहार दें। इससे पितरों का आशीर्वाद आप पर बना रहेगा।



  पंडित रामगोपाल डोलियां