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आज का पंचांग | Aaj ka Panchang | 08 OCTOBER 2025

 


आज का हिन्दू पंचांग  


  दिनांक - 08 अक्टूबर 2025

  दिन - बुधवार

  विक्रम संवत 2082

  शक संवत -1947

  अयन - दक्षिणायन

  ऋतु - शरद ॠतु 

  मास - कार्तिक

  पक्ष - कृष्ण 

  तिथि - द्वितीया 09 अक्टूबर रात्रि 02:22 तक तत्पश्चात तृतीया

  नक्षत्र - अश्विनी रात्रि 10:44 तक तत्पश्चात भरणी

  योग - हर्षण 09 अक्टूबर रात्रि 01:33 तक तत्पश्चात वज्र

  राहुकाल  - दोपहर 12:26 से दोपहर 01:55 तक

  सूर्योदय - 06:32

  सूर्यास्त -  06:03

  दिशाशूल - उत्तर दिशा मे

 व्रत पर्व विवरण - 

  विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा  बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


  कार्तिक में दीपदान  


  07 अक्टूबर, मंगलवार से कार्तिक व्रत-स्नान प्रारंभ हो चुका है ।


  महापुण्यदायक तथा मोक्षदायक कार्तिक के मुख्य नियमों में सबसे प्रमुख नियम है दीपदान। दीपदान का अर्थ होता है आस्था के साथ दीपक प्रज्वलित करना। कार्तिक में प्रत्येक दिन दीपदान जरूर करना चाहिए।


  पुराणों में वर्णन मिलता है। 


 “हरिजागरणं प्रातःस्नानं तुलसिसेवनम् । उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके।।“ (पद्मपुराण, उत्तरखण्ड, अध्याय 115)


  “स्नानं च दीपदानं च तुलसीवनपालनम् । भूमिशय्या ब्रह्मचर्य्यं तथा द्विदलवर्जनम् ।।

विष्णुसंकीर्तनं सत्यं पुराणश्रवणं तथा । कार्तिके मासि कुर्वंति जीवन्मुक्तास्त एव हि ।।” (स्कन्दपुराण, वैष्णवखण्ड, कार्तिकमासमाहात्म्यम, अध्याय 03)


  पद्मपुराण उत्तरखंड, अध्याय 121 में कार्तिक में दीपदान की तुलना अश्वमेघ यज्ञ से की है :


  घृतेन दीपको यस्य तिलतैलेन वा पुनः। ज्वलते यस्य सेनानीरश्वमेधेन तस्य किम्।


 कार्तिक में घी अथवा तिल के तेल से जिसका दीपक जलता रहता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ से क्या लेना है।


  अग्निपुराण के 200 वे अध्याय के अनुसार


   दीपदानात्परं नास्ति न भूतं न भविष्यति


  दीपदान से बढ़कर न कोई व्रत है, न था और न होगा ही

  स्कंदपुराण, वैष्णवखण्ड के अनुसार


  सूर्यग्रहे कुरुक्षेत्रे नर्मदायां शशिग्रहे ।। तुलादानस्य यत्पुण्यं तदत्र दीपदानतः ।।


  कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय और नर्मदा में चन्द्रग्रहण के समय अपने वजन के बराबर स्वर्ण के तुलादान करने का जो पुण्य है वह केवल दीपदान से मिल जाता है।


  कार्तिक में दीपदान का एक मुख्य उद्देश्य पितरों का मार्ग प्रशस्त करना भी है।


  "तुला संस्थे सहस्त्राशौ प्रदोषे भूतदर्शयोः

 उल्का हस्ता नराः कुर्युः पितृणाम् मार्ग दर्शनम्।।"


  पितरों के निमित्त दीपदान जरूर करें। 


  पद्मपुराण, उत्तरखंड, अध्याय 123 में महादेव कार्तिक में दीपदान का माहात्म्य सुनाते हुए अपने पुत्र कार्तिकेय से कहते हैं ।


 शृणु दीपस्य माहात्म्यं कार्तिके शिखिवाहन। पितरश्चैव वांच्छंति सदा पितृगणैर्वृताः।।

भविष्यति कुलेऽस्माकं पितृभक्तः सुपुत्रकः। कार्तिके दीपदानेन यस्तोषयति केशवम्।।


  “मनुष्य के पितर अन्य पितृगणों के साथ सदा इस बात की अभिलाषा करते हैं कि क्या हमारे कुल में भी कोई ऐसा उत्तम पितृभक्त पुत्र उत्पन्न होगा, जो कार्तिक में दीपदान करके श्रीकेशव को संतुष्ट कर सके। ”


  दीपदान कहाँ करें  


  देवालय (मंदिर) में, गौशाला में, वृक्ष के नीचे, तुलसी के समक्ष, नदी के तट पर, सड़क पर, चौराहे पर, ब्राह्मण के घर में, अपने घर में ।


  अग्निपुराण के 200 वे अध्याय के अनुसार


  *देवद्विजातिकगृहे दीपदोऽब्दं स सर्वभाक्


  जो मनुष्य देवमन्दिर अथवा ब्राह्मण के गृह में दीपदान करता है, वह सबकुछ प्राप्त कर लेता है। पद्मपुराण के अनुसार मंदिरों में और नदी के किनारे दीपदान करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। दुर्गम स्थान अथवा भूमि पर दीपदान करने से व्यक्ति नरक जाने से बच जाता है।


 जो देवालय में, नदी के किनारे, सड़क पर दीप देता है, उसे सर्वतोमुखी लक्ष्मी  प्राप्त होती है। कार्तिक में प्रतिदिन दो दीपक जरूर जलाएं। एक श्रीहरि नारायण के समक्ष तथा दूसरा शिवलिंग के समक्ष ।


  शेष कल.......