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बागेश्वर धाम सरकार की पदयात्रा में उमड़ा जनसैलाब



 दीन-दुखियों को गले लगाते चले महाराज

साभार -  जीतू भाई ( बुंदेली भौकाल )

फरीदाबाद/सीकरी। बागेश्वर धाम सरकार की तीसरे दिन की पदयात्रा रविवार को सीकरी के विशाल मैदान में विराम पर पहुँची। जनसैलाब का आलम यह रहा कि फरीदाबाद से सीकरी तक करीब 10 लाख श्रद्धालु यात्रा के साक्षी बने। बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर महाराज) स्वयं दीन-दुखियों, बिछड़ों-पिछड़ों को गले लगाते हुए आगे बढ़ते रहे।


महाराज श्री ने कहा कि “जात-पात से ऊपर उठकर सभी हिंदू एकजुट हों, तभी हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना साकार होगी।” उनके सानिध्य में आने वाले श्रद्धालु भाव-विभोर होकर चरणों में झुकते दिखे।


अनिरुद्धाचार्य महाराज ने लहराया भगवा ध्वज


तीसरे दिन की यात्रा में सुबह से ही श्री अनिरुद्धाचार्य महाराज शामिल हुए और उन्होंने भगवा ध्वज लहराकर सनातन एकता का संदेश दिया। उनके साथ बालक योगेश्वर दास महाराज (बद्रीनाथ), महंत राजू दास रामगढ़ी (अयोध्या), शनि धाम के दाती महाराज और अन्य संत गण भी उपस्थित रहे।


राष्ट्रगान और सात शपथ के साथ हुई शुरुआत


हर दिन की तरह इस दिन की यात्रा भी राष्ट्रगान और सात शपथ के साथ आरंभ हुई। बागेश्वर महाराज बीच-बीच में भक्तों को आशीर्वाद देते और प्रेमपूर्वक बुलाते रहे। जिन्हें भी उनका संकेत मिला, वे खुशी से उछल पड़े और उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ लगी रही।


दिव्यांग भी बने प्रेरणा का स्रोत


यात्रा में कई ऐसे श्रद्धालु भी शामिल हुए जो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं। बुलंदशहर के मान सिंह, जिन्होंने 20 वर्ष पहले एक दुर्घटना में अपना पैर खो दिया था, हर पदयात्रा में भाग लेते हैं। इसी तरह 60 वर्षीय चतुर्भुज, जो एक हाथ से दिव्यांग हैं, भी यात्रा में शामिल हुए। ये श्रद्धालु सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बने।


पेड़ पर चढ़ा युवक, महाराज ने बुलाकर दी भेंट


एक भावुक दृश्य तब देखने को मिला जब आगरा निवासी एक युवक महाराज श्री की झलक पाने के लिए 20 फीट ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया। महाराज ने उसे बुलाकर भेंट की, आशीर्वाद दिया और लोगों से अपील की कि “ऐसे जोखिम भरे कार्य न करें।”


सेना और किसान को बताया देश का असली हीरो


महाराज श्री ने कहा कि “सीमा पर जवान और खेत पर किसान ही देश के असली हीरो हैं। बाकी हीरो केवल दिखावटी हैं।” उन्होंने लोगों से सेना की शक्ति बढ़ाने के लिए सहयोग देने का आग्रह किया ताकि आधुनिक हथियारों से भारत और मजबूत हो सके।


रसगुल्ला-जलेबी का प्रसाद, जबलपुर से मंगाया गया खोया


यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए भोजन की विशेष व्यवस्था की गई। दूसरे दिन दोपहर में छेना रसगुल्ला और शाम को खोए की जलेबी परोसी गई। 20 कुंतल खोया जबलपुर से विशेष रूप से मंगाया गया, और वहीं के कारीगरों ने इसे तैयार किया।


51 बुलडोज़र से पुष्प वर्षा


तीसरे दिन यात्रा आगे बढ़ते ही एक अनोखा दृश्य देखने को मिला। लगभग 51 जेसीबी (बुलडोजर) से करीब 500 मीटर के क्षेत्र में श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई। पूरा मार्ग गुलाब और गेंदे के फूलों से महक उठा।


‘रावण’ ने भी लगाया जय श्री राम का नारा


यात्रा में एक युवक रावण की पोशाक पहनकर शामिल हुआ। उसने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए और कहा कि “राम राज्य आने से ही लोगों का कल्याण होगा।” इस पर महाराज श्री ने मुस्कराते हुए कहा —

“जब रावण जय श्री राम बोलने लगे, तो समझो हिंदू राष्ट्र बनने में अब देर नहीं।”


गांवों से ताला लगाकर उमड़े लोग


ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा उत्साह देखने को मिला कि लोग अपने घरों पर ताला लगाकर यात्रा देखने बल्लभगढ़ पहुँच गए। कश्मीर से कन्याकुमारी तक जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर लाखों की भीड़ उमड़ पड़ी। कुछ लोग चार-चार घंटे तक खड़े रहे, फिर भी महाराज श्री की एक झलक पाने के लिए बेताब दिखे।

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