लक्ष्मणगढ़। देवउठनी एकादशी के पावन अवसर पर रविवार, 2 नवम्बर को श्री विजय रघुनाथ यानी विदावत जी मंदिर परिसर में लाडली वृंदा परिणय महोत्सव के तहत भगवान शालिग्राम और माता तुलसी (वृंदा) का दिव्य विवाह विधि-विधानपूर्वक संपन्न हुआ।
यह धार्मिक आयोजन मुंबई प्रवासी गिरधारीलाल राकसिया परिवार की ओर से कराया गया। आयोजन का शुभारंभ 29 अक्टूबर को दोपहर 11:15 बजे गणेश पूजन एवं कलश स्थापना से हुआ, जो पूरे उत्सव की मंगलभूमि बना।
मुख्य दिवस देवउठनी एकादशी पर सायं 6:15 बजे मंदिर प्रांगण से भगवान शालिग्राम की बारात बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ निकली। बैंड-बाजों और हरि नाम संकीर्तन के बीच यह बारात नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए पंचायत समिति स्थित राकसिया कोठी पहुंची, जहां बारातियों का पारंपरिक स्वागत पुष्पवर्षा और आरती से किया गया।
इसके पश्चात मंदिर परिसर में वृंदा (तुलसी माता) और भगवान शालिग्राम (श्री विष्णु) का परीक्षण संस्कार एवं वैदिक विधि से विवाह संपन्न हुआ।
मंदिर के महंत दिलीपदास महाराज ने बताया कि “तुलसी विवाह एक प्रमुख वैदिक परंपरा है, जिसमें तुलसी माता को दुल्हन और भगवान विष्णु (शालिग्राम) को दूल्हा माना जाता है। इस दिन से ही विवाह समारोहों का शुभ मुहूर्त आरंभ होता है।”
पूरे आयोजन में हरि नाम संकीर्तन, वैदिक मंत्रोच्चारण और दीपों की लौ से वातावरण भक्तिमय बना रहा। श्रद्धालुओं ने तुलसी विवाह के इस पावन क्षण में भाग लेकर पुण्य लाभ अर्जित किया।
