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भीलवाड़ा । रुचि और नीति से किये गये कार्य में सफलता अवश्य मिलती हेै। किसी भी कार्य को करने के लिये रुचि होना भी आवश्यक है और कार्य का नितिगत होना भी आवष्यक हेै। यह कहना है महामण्डलेश्वर स्वामी जगदीश पुरी महाराज का।अग्रवाल उत्सव भवन में चातुर्मास प्रवचन के दौरान आयोजित धर्मसभा को यमराज-निचिकेता प्रसंग पर उद्बोधित करते हुए स्वामी जी ने बताया कि व्यक्ति कई कार्य करता है। कुछ कार्य ऐसे होते हैं जो उसकी रुचि के अनुरुप होते हैं जो उसे स्वयं को तो अच्छे लगते हैं किन्तु नीति और धर्म के विरुद्ध होते हैं। ऐसे कार्यो का परिणाम कुछ समय के लिए हो सकता है अनुकूल हो किन्तु अन्तोगत्वा उसके परिणाम विपरित ही आते हैं।  किसी भी कार्य को करने के लिए उसे रुचि पूर्वक करना तो आवष्यक है ही किन्तु किये गये कार्यो से किसी को ठेस ना पहुंचे, किसी के साथ अन्याय ना हो और स्वयं की अन्र्तआत्मा जिस कार्य को करने की इजाजत दे व्यक्ति को वही कार्य करना चाहिए। निति के विरुद्ध कार्य करने से व्यक्ति स्वयं का तो नुकसान करता ही है ओैर कार्य के विपरित प्रभाव से वो औरों की नजरों में भी गिर जाता है।धर्मसभा को संत महेन्द्र चैतन्य ने  भजन से संगीतमय बनाया।पधारे अतिथियों का चातुर्मास समिति के टी.सी. चैधरी, भरत व्यास व संजय निमोदिया आदि  ने स्वागत किया एवं अतिथियों ने माल्यार्पण कर महामण्डलेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त किया।                   
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HINDU ASTHA

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