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बीकानेर।  श्रीधाम वृदांवनधाम से पधारे बाल व्यास श्री बांकेबिहारी जी ने श्रीमद भागवत कथा में अपने श्रीमुख  से आज जीव का भक्ति के द्वारा उद्वगार व्यक्त करते हुए बताया कि मनुष्य जीवन में भक्ति सर्वोपरि है। भूगोल  खगोल की कथा में पृथ्वी, सूर्य, चन्द्रमा, तारागढ़ आदि का वर्णन करते हुए सभी ग्रहों का वर्णन किया।  महाभारत का सूक्ष्म प्रसंग कहते हुए मनुष्य को सद्कर्मों का व्याख्यान सुनाया। द्रोपती चरित्र में भक्ति का  समपर्ण भाव विभोर द्रोपती की स्वयं प्रभु ने रक्षा कर भक्तों को यह दर्शाया कि हे भक्त! तू कभी किसी स्थिति  में अकेला नहीं है। हर समय मैं तेरे साथ तेरी रक्षा के लिए हर संभव तैयार हूं। नारद चरित्र सुनाकर भक्तों को  भक्ति का दृष्टांत दिया। सबरी चरित्र सुनाकर नवदा भक्ति का वर्णन किया तथा सती अनुसुइया चरित्र में यह  बताया कि माताओं पति से बड़ी कोई सेवा नहीं है। पतिव्रता शक्ति संसार में सर्वोपरि है तथा अपनी मधुर वाणी  से भक्तों को भक्ति का दृष्टांत देते हुए बताया कि मनुष्य जीवन न जाने कितने जन्मों के बाद जीव को बड़ी  कठिनता से प्राप्त होता है इसलिए मनुष्य को हर समय मानवता के साथ ही मनुष्य जीवन जीना चाहिए। दुष्कर्मों  से बचकर सद्कर्म करते हुए प्रभु के चरणार्बिंन्द में अपने चित को लगाकर प्रभु नाम का जप करना ही जीवन  में कल्याणकारी है। कथा का रसपान कर भक्तों ने भक्ति विभोर होकर श्री महाराज का जय-जयकार करते हुए  ताली बजाकर महाराजजी का स्वागत सम्मान किया। यह श्रीमद् भागवत कथा पुरानी गिन्नाणी बागवान मौहल्ला,  श्री बाबा रामदेव मंदिर में सभी भक्तों के सहयोग से चल रही है।
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HINDU ASTHA

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