हाथों में पाटी,घोटा,लोटड़ी लिये बटुक गली मौहल्लों में दौड़ते और 'पकडो पकडोÓ नहीं नहंीं जावण दे जावण दे.......की स्वर लहरियां। शुक्रवार को शहर के हर गली मौहल्ले में यह एक ही स्वर सुनाई दे रहा था। मौका था पुष्करणा समाज के सामूहिक विवाह समारोह में यज्ञोपवित संस्कारों का। शहर में बड़ी संख्या में यज्ञोपवित संस्कार के आयोजन हुए। बड़े बर्जुगों से भिक्षा मांगी तथा काशी के लिये बटुकों ने दौड़ लगाई। बटुकों को पकडऩे के लिये उनके परिजन उनके पीछे दौड़े। इस बीच गली मौहल्लों व पाटों पर मौजूद लोगों ने 'पकडो पकडोÓ नहीं नहंीं जावण दे जावण की आवाजे लगाकर बटुकों को काशी जाने की जिद का समर्थन किया। यज्ञोपवित संस्कारों की रस्म के बाद ननिहाल पक्ष की ओर से भात भरने की परम्परा का निर्वहन किया गया। वही 8 फरवरी को सामूहिक सावे में होने वाले विवाह वाले घरों में भी वेद मंत्रों की गूंज रही। सुबह से देर रात तक मांगलिक कार्यों में हर वर्ग का व्यक्ति भाग ले रहा है। सावे को लेकर मायरा,खिरोडा,प्रसाद,चेहरे रंगने की परम्परा के बीच केसरियो लाडो जीवतों रे... के स्वरों के साथ नृत्य करते युवक युवतियां से सावे की रौनक परवान पर है। हाथधान हुए,छींकी आज
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बीकानेर । हाथों में पाटी,घोटा,लोटड़ी लिये बटुक गली मौहल्लों में दौड़ते और 'पकडो पकडोÓ नहीं नहंीं जावण दे जावण  दे.......की स्वर लहरियां। शुक्रवार को शहर के हर गली मौहल्ले में यह एक ही स्वर सुनाई दे रहा था। मौका था पुष्करणा  समाज के सामूहिक विवाह समारोह में यज्ञोपवित संस्कारों का। शहर में बड़ी संख्या में यज्ञोपवित संस्कार के आयोजन  हुए। बड़े बर्जुगों से भिक्षा मांगी तथा काशी के लिये बटुकों ने दौड़ लगाई। बटुकों को पकडऩे के लिये उनके परिजन उनके  पीछे दौड़े। इस बीच गली मौहल्लों व पाटों पर मौजूद लोगों ने 'पकडो पकडोÓ नहीं नहंीं जावण दे जावण की आवाजे  लगाकर बटुकों को काशी जाने की जिद का समर्थन किया। यज्ञोपवित संस्कारों की रस्म के बाद ननिहाल पक्ष की ओर से  भात भरने की परम्परा का निर्वहन किया गया। वही 8 फरवरी को सामूहिक सावे में होने वाले विवाह वाले घरों में भी वेद  मंत्रों की गूंज रही। सुबह से देर रात तक मांगलिक कार्यों में हर वर्ग का व्यक्ति भाग ले रहा है। सावे को लेकर  मायरा,खिरोडा,प्रसाद,चेहरे रंगने की परम्परा के बीच केसरियो लाडो जीवतों रे... के स्वरों के साथ नृत्य करते युवक  युवतियां से सावे की रौनक परवान पर है।
हाथधान हुए,छींकी आज
पुष्करणा सावे के दौरान जिन युवक-युवतियों का विवाह होने वाला है उनके हाथधान लेने के मांगलिक कार्यक्रम हुए।  मांगलिक गीतों के साथ परिवार की महिलाओं ने पीठी का लेप कर लखदख व तेल चढ़ाने की परम्परा निभाई और विवाह  करने वाले युवक युवतियों को केसरिया वस्त्र धारण करवाये। केसरिया वस्त्र धारण करने के बाद बनड़ा व बनड़ी ने बड़े  बर्जुगों का आशीर्वाद ले ननिहाल लड्डू चढ़ाने पहुंचे। सावे कार्यक्रम के अनुसार शनिवार को मातृका स्थापना व गणेश  परिक्रमा 'छींकीÓ निकाली जायेगी। जिसके अन्तर्गत बनड़ा व बनड़ी अपने ससुराल जायेगें और विधिवत पूजन के बाद  उनकी खोल भराई की जायेगी।
खिरोड़ी सामग्री का वितरण
रमक झमक संस्था की ओर से विवाह वाले दिन वधु के घर जाने वाले खिरोडे की सामग्री का वितरण शुक्रवार को बारह  गुवाड़ में किया गया। संस्था अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ने बताया कि भाजपा के युवा नेता विजय मोहन जोशी के नेतृत्व में  वितरण का कार्य शुरू किया गया। इसके अलावा सबसे छोटे बटुक का सम्मान भी किया गया।
प्रत्येक बाराती को पिलायेगें राबडिय़ा
पुष्करणा सावे पर निकलने वाली गणेश परिक्रमाओं के दौरान बाहर गुवाड़ चौक में प्रगतिशील विचार मंच द्वारा दूध  राबडिय़े का आयोजन किया जायेगा। सचिव शंकर लाल पुरोहित ने बताया दो क्विंटल दूध के राबडिय़े का वितरण किया  जायेगा।
दूल्हे होंगे सम्मानित
आठ फरवरी को होने वाले सावे के दौरान मोहता चौक और बारह गुवाड़ के चौक में प्रथम पहुंचने वाले दूल्हों का सम्मान  किया जायेगा। रमक झमक संस्था और मेघराज भादाणी परिवार की ओर से दूल्हों का सम्मान किया जायेगा। इतना ही  नहंीं भादाणी परिवार विवाह के बाद दुल्हन के साथ पहले आने वाले नवदम्पति को शील्ड प्रदान कर सम्मानित करेगा।


जयनारायण बिस्सा 
बीकानेर 

Axact

HINDU ASTHA

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