.
संकलन - जगत जोशी  
औम जय खेतरपाल देवा, स्वामी जय खेतरपाल देवा।।
छीन छीन भोग लगाऊं ,मोदक और मेवा।। औम जय ।।
तुम करूणा के सागर, तुम अन्तर्यामी ।। स्वामी।
दुखीयन के दुखहारी,तुम सबके स्वामी ।। औम जय।।
चरणामृत निर्मल, सब पातक हर्ता।। स्वामी
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।। औम जय।।
तन मन धन अर्पण कर , जो जन शरण पड़े।। स्वामी
प्रभु प्रकट होये, आकर द्वार खड़े।। औम जय ।।
दीन दयाल दयानिधी, भक्तन हितकारी।। स्वामी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बन्धन हारी ।। औम जय।।
सकल मनोरथ दायक , सब संशय हारी।। स्वामी।
विषय विकार मिटाओ,संतन सुखकारी।। औम जय ।।
रावतसर मे मन्दिर थारो , शौभा अतिभारी।। स्वामी।
मन वांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। औम जय।।
रावतदास की विनती सुनकर ,नीव लगी थारी।। स्वामी
नारायण ंिसंह भक्त थारी पूजा करे भारी ।। औम जय।
जो जन आरती तुम्हारी, प्रेम सहित गावे।। स्वामी।
सफल मनोरथ होवे, निश्चय फल पावे।। औम जय।

।। बोलो खेतरपाल भामलिये की जये, बोलो मालासी भामलिये की जय।। 
Axact

HINDU ASTHA

हमारी कोशिश आपको सही बात पहुंचाने की है .

Post A Comment: