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गुप्त नवरात्र इस बार 22 जून यानी आज से शुरू हो रहे हैं.
सनातन धर्मावलंबी आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा यानी आज यानि 22 जून 2020 से ग्रीष्म आषाढ़ी नवरात्र पूजा करेंगे। अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना में श्रद्धालु लीन रहेंगे। आषाढ़ी नवरात्रि में तंत्र साधना की प्रधानता के  कारण इसे गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है। इस दौरान साधक दस महाविद्याओं की साधना करेंगे।
पं. अभिमन्यू पाराशर, व  पं. अजय कुमार मिश्रा के अनुसार
चैत्र या वासंतिक नवरात्र और अश्विन या शारदीय नवरात्रों के बारे में सभी जानते हैं।  लेकिन इसके अतिरिक्त दो और भी नवरात्र हैं जिनमे विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है।  कम लोगों को इसके बारे में जानकारी होने और इसके पीछे छिपे रहस्यमयी कारणों की वजह से इन्हें गुप्त नवरात्र कहते हैं।

वर्ष में दो बार होते हैं गुप्त नवरात्र

कुल मिलाकर वर्ष में चार नवरात्र होते हैं।  यह चारों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के समय मनाए जाते हैं. महाकाल संहिता और तमाम शाक्त ग्रंथों में इन चारों नवरात्रों का महत्व बताया गया है।  इसमें विशेष तरह की इच्छा की पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा और अनुष्ठान किया जाता है।


कलश स्थापना का मुहूर्त

22 जून को सुबह 9.30 बजे से सुबह 11 बजे तक




                                                                 मंत्र होगा 

                                          "ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे" 

गुप्त नवरात्र में होती हैं इन देवियों की पूजा
मां काली, तारादेवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्न माता, त्रिपुर भैरवी मां, धुमावती माता, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी इन 10 देवियों का पूजन करते हैं।


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HINDU ASTHA

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