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जीणमाता/दांतारामगढ़। अरावली की पहाडिय़ों में बसे जीणमाता धाम में मां जीण भवानी का लक्खी मेला परवान पर है। मेले के छठे दिन भक्तगण जात जड़ूला, सवामणी व ध्वजा निशान की रश्मों को निभाने के लिए माता के दर पर पहुंचे। श्रद्धालुओं ने डंके पर चोट लगाई तो कई ने गठजोड़े की जात दी। सिर पर सिगड़ी लेकर नंगे पैर श्रद्धालु मां जीण भवानी के धाम पहुंचे। शुक्रवार को 125 गांवों का बत्तीसी संघ जीण भवानी के दरबार में पहुंचा। बतीसी संघ के परम्परागत जत्थों के आवागमन के कारण गोरिया-जीणमाता मार्ग पर शुक्रवार को अल सुबह से शाम तक काफी भीड़ रही। इधर मुख्य मेला शुरू होने के कारण जीणधाम की सभी धर्मशालाएं भर गई है, जिसके कारण यात्री कमरों के लिए इधर-उधर भटते नजर आ रहे हैं। मेला प्रशासन व बत्तीसी संघ की मीटिंग हुई जिसमें बत्तीसी संघ ने अपनी समस्याएं बताई। प्रशासन व मंदिर ट्रस्ट ने बतीसी संघ को परम्परानुसार माता के दर्शन  जोत, जात व धोक सुविधानुसार करवाने का आश्वासन दिया। बतीसी संघ की परम्पगरात धोक मध्य रात्रि को लगी। बतीसी संघ की बैठक के दौरान मेला मजिस्ट्रेट राजेश मीणा, रानोली थानाधिकारी कैलाश चन्द यादव, पुजारी कमल जागीरदार, रजत पाराशर सहित बतीसी संघ के पदाधिकारी व स्वयंसेवक सहित समस्त बतीसी संघ के लोग मौजूद रहे।

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