आचार्य रणजीत स्वामी
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गौ माता का पूजन की विधि-
गाय एक ऐसा प्राणी है, जिसमें भगवान का वास माना गया है।
शास्त्रों के अनुसार गाय माता में सुरभि नामक लक्ष्मी निवास करती है। सुरभि
का अर्थ है- बहुत ही सुंदर आभा प्रदान करने वाली देवी। गाय से प्राप्त
होने वाली हर वस्तु दूध गोबर गौ मुत्र घी दही सभी जीवन उपयोगी है। गाय के
सिर से बहने वाला पसीना जिसे गोरोचन कहा जाता है। गोरोचन में लक्ष्मी
प्राप्ति करा देने की क्षमता होती है। यही कारण है कि जिस घर में गाय को
निवास कराया जाता है। उस घर में 33 कोटि देवता प्रसन्न रहते हैं। वहां किसी
भी प्रकार का वास्तुदोष बगैर किसी उपाय को करें स्वतः ही दूर हो जाता
है।गोपाष्टमी, ब्रज में भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है। गायों
की रक्षा करने के कारण भगवान श्री कृष्ण जी का अतिप्रिय नाम 'गोविन्द'
पड़ा। कार्तिक शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा से सप्तमी तक गो-गोप-गोपियों की रक्षा
के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। इसी समय से अष्टमी को गोपोष्टमी का
पर्व मनाया जाने लगा, जो कि अब तक चला आ रहा है। गोपाष्टमी पूजन 8 नवम्बर
2016 को है। अष्ठमी 7 नवम्बर को दोपहर १३:११ बजे से 8 नवम्बर को दोपहर
१३:२२ तक रहेगी। गौ पूजन 8 नवम्बर को करे।
हिन्दू संस्कृति में गाय का विशेष स्थान हैं। माँ का दर्जा
दिया जाता हैं क्यूंकि जैसे एक माँ का ह्रदय कोमल होता हैं, वैसा ही गाय
माता का होता हैं। जैसे एक माँ अपने बच्चो को हर स्थिती में सुख देती हैं,
वैसे ही गाय भी मनुष्य जाति को लाभ प्रदान करती हैं।
गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौशाला में गोसंवर्धन हेतु गौ पूजन
का आयोजन किया जाता है। गौमाता पूजन कार्यक्रम में सभी लोग परिवार सहित
उपस्थित होकर पूजा अर्चना करते हैं। गोपाष्टमी की पूजा विधि पूर्वक विध्दान
पंडितो द्वारा संपन्न की जाती है। बाद में सभी प्रसाद वितरण किया जाता है।
सभी लोग गौ माता का पूजन कर उसके वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक महत्व को समझ
गौ रक्षा व गौ संवर्धन का संकल्प करते हैं
पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा अनुसार बालक कृष्ण ने माँ यशोदा से गायों की
सेवा करनी की इच्छा व्यक्त की कृष्ण कहते हैं कि माँ मुझे गाय चराने की
अनुमति मिलनी चाहिए। उनके कहने पर शांडिल्य ऋषि द्वारा अच्छा समय देखकर
उन्हें भी गाय चराने ले जाने दिया जो समय निकाला गया, वह गोपाष्टमी का शुभ
दिन था। बालक कृष्ण ने गायों की पूजा करते हैं, प्रदक्षिणा करते हुए
साष्टांग प्रणाम करते हैं।
गोपाष्टमी के अवसर पर गऊशालाओं व गाय पालकों के यहां जाकर
गायों की पूजा अर्चना की जाती है इसके लिए दीपक, गुड़, केला, लडडू, फूल
माला, गंगाजल इत्यादि वस्तुओं से इनकी पूजा की जाती है। महिलाएं गऊओं से
पहले श्री कृष्ण की पूजा कर गऊओं को तिलक लगाती हैं। गायों को हरा चारा,
गुड़ इत्यादि खिलाया जाता है तथा सुख-समृद्धि की कामना की जाती है
गाय की सेवा करने से मिलता है तीर्थदर्शन करने का पुण्य
शास्त्रों में गाय का अपमान करने वाले की घोर निंदा की गई है।
गाय का मांस खाने वाले से बड़ा पापी इस जगत में कोई नहीं हो सकता है।
ग्रंथों में स्पष्ट कहा गया है कि गौ माता का वध करना ऐसा पाप है, जिसका
कोई प्रायश्चित्त ही नहीं है। जो पुण्य तीर्थ दर्शन करके या अनेक यज्ञों को
करके बटोरा जाता है, वहीं सारा पुण्य केवल गौ माता की सेवा करने से ही
प्राप्त हो जाता है।
गाय से जुड़े शुभ शकुन गाय का दरवाजे पर आकर रंभाना, दरवाजे
को चांटना ये सभी शुभदायक होते हैं। यात्रा पर जाते समय गाय का दर्शन हो
जाना शुभकारक होता है। घर के आंगन में बनी रंगोली पर गाय का पैर रखना बहुत
शुभ माना गया है। गाय को रोज भोजन देने से नवग्रहों की शांति होती है।
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार गौ के पैरों में समस्त तीर्थ का
वास माना गया है। गौ माता के पैरों में लगी मिट्टी का जो व्यक्ति नित्य
तिलक लगाता है, उसे किसी भी तीर्थ में जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि
उसे सारा फल उसी समय वहीं प्राप्त हो जाता है।
पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता हैकि गाय की पूँछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है।
जो व्यक्ति सुबह जागने के बाद नित्य गौ माता के दर्शन करता है, उसकी अकाल
मृत्यु कभी नहीं हो सकती, यह बात महाभारत में बहुत ही प्रामाणिकता के साथ
कही गई है।
इस मंत्र के साथ गौ माता को प्रणाम करना चाहिए।
सर्वदेवमये देवि सर्वदेवैरलंकृते।
मातर्ममाभिलषितं सफलं कुरु नन्दिनि।।
गौ माता में हैं 33 कोटि देवताओं का निवास
वैदिक साहित्य के अनुसार जिन देवताओं का पूजन हम मंदिरों व
तीर्थों में जाकर करते हैं। वे सारे देवता समूह रूप से गौ माता में
विराजमान है। इसलिए पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ किसी भी कार्य की
सिद्धि के लि नित्य गौ माता की सेवा करनी चाहिए। महाभारत में कहा गया है-
यत्पुण्यं सर्वयज्ञेषु दीक्षया च लभेन्नरः।
तत्पुण्यं लभते सद्यो गोभ्यो दत्वा तृणानि च।।
अर्थात् सारे यज्ञ करने में जो पुण्य है। सारे तीर्थ नहाने का
जो फल मिलता है। वह फल गौ माता को चारा डालने से ही प्राप्त हो जाता है।
रोज खिलाना चाहिए गाय को रोटी
विष्णुधर्मोत्तरपुराण के अनुसार किसी भी अनिष्ट के नाश के लिए
गौ माता के पूजन किया जाना चाहिए। जो इंसान रोेज गाय की सेवा करता है या
फिर रोज गाय के लिए चारे या रोटी का दान करता है। उसकी कोई भी परेशानी अपने
आप रास्ता बदल लेती है।
जो इसंान स्वयं के भोजन करने से पहले गाय को भोजन अर्पित करता है। वह श्री, विजय और ऐश्वर्य को प्राप्त करता है।
जब गौ माता को रोटी दें तो इस मंत्र का उच्चारण करें-
त्वं माता सर्वदेवानां त्वं च यज्ञस्य कारणम्।
त्वं तीर्थं सर्वतीर्थानां नमस्तेऽस्तु सदानघे।।
नवग्रहों की पीड़ा में राहत पाने के लिए प्रत्येक वार को खिलाएं
अलग-अलग अन्न
सूर्य ग्रह के शुभ प्रभाव के लिए
रविवार को रोटी के ऊपर थोड़ा सा गुड़ रखकर लाल गाय को खिलाएं।
चंद्र ग्रह के शुभ प्रभाव के लिए
सोमवार को रोटी के ऊपर हल्का से घी लगाकर गाय को खिलाएं। कच्चे या पके चावल को दुध में भिगोकर सफेद गाय को खिलाएं।
मंगल ग्रह के शुभ प्रभाव के लिए
मंगलवार को रोेटी पर गुड़ रखकर लाल गाय को खिलाएं। कोई भी मीठा पदार्थ गाय को खिलाने से मंगल ग्रह की प्रसन्नता प्राप्त होती है।
बुध ग्रह के शुभ प्रभाव के लिए
बुधवार के दिन साबूत मूंग के दाने रखकर सफेद गाय को खिलाएं। बुध की प्रसन्नता के लिए हरा चारा गाय माता को अवश्य खिलाएं।
गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव के लिए
गुरूवार को घी व हल्दी चुपड़कर पीली गाय को खिलाए। चने की दाल और गुड़ मिलाकर खिलाने से गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है।
शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव के लिए
शुक्रवार को दही चावल खिलाने से शुक ग्रह की अनुकूलता में वृद्धि होती है। यह उपाय लक्ष्मी कारक है। केवल चावल भी खिलाया जा सकता है।
शनि, राहु, केतु के शुभ प्रभाव के लिए
शनिवार को सरसों का तेल चुपड़कर तिल के कुछ दाने रोटी पर रखकर
चितकबरी या काली गाय को खिलाएं। उड़द और चावल की बनी नमकीन खिचड़ी खिलाने
से द्ररिद्रता दूर होती