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गुरू की सेवा इहलौकिक व तार लोक के लिए आवश्यक---काशीराम

लक्की अग्रवाल 
श्रीमाधोपुर। कस्बे के आराध्य देव गोपीनाथ मंदिर में श्रीजी विवाह मंगल महोत्सव के तहत चल रही श्रीराम-जानकी विवाह की कथा के तीसरे दिन शनिवार को भी महिला श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही। कथावाचक काशीराम नाणकाजोशी ने शनिवार को रामजानकी विवाह की कथा का वाचन किया। कथा में पुष्पवाटिका,सीता द्वारा गिरिजा पूजन,धनुष-भंग,लक्ष्मण-परशुराम संवाद,सीता स्वंयभर की कथा का वाचन किया गया। कथा में गुरू की सेवा को इहलौकि व तार लोक के लिए जीवन में जरूरी बताया तो माता सीता को जगत जननी एवं करूणामूर्ती वहीं भगवान श्रीराम को परम् पुरूषोत्तम तथा माता सीता को जगत् जननी बताया। राम जानकी कथा का संगीतमयी वर्णन कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। परशुराम संवाद के दौरान कथा वाचक ने संवाद का वर्णन करते हुए बताया कि शिवजी के धुनष को तोडऩे वाला आपका कोई एक दास ही होगा।क्या आज्ञा है मुझसे क्यों नहीं कहते यह सुनकर क्रोधी मुनी रिसाकर बोले सेवक वह है जो सेवा का काम करें। शत्रु का काम करके तो लड़ाई ही करनी चासहिए। जिसने शिवजी के धनुष को तोड़ा है वह सहस्त्रबाहु के समान मेरा  शत्रु है,वह इस समाज को छोडक़र अलग हो जाए,नहीं तो सभी राजा मारे जाएंगें।मुनि के वचप सुनकर लक्ष्मण मुस्कराएं और परशुराम का अपमान करते हुए बोले लडक़पन में हमनें बहुत सी धनुहिंया तोड़ डाली किंतु आपने क्रोध कभी नहीं किया। इसी धनुष पर इतनी ममता किस कारण से हैं। यह सुनकर भृगंवश
ककी हवजा स्वरूप परशुराम जी कुपित होकर कहने लगे काल के वश हाने से तुझे बोलने में कुछ भी होश नहीं है। सारे संसार में विख्यात शिवजी का यह धनुष क्या धुनही के समान हैं। इत्यादि के साथ संवाद को पूर्ण किया गया। कथावाचक ने राम जानकी कथा व राम लक्ष्मण परशुराम संवाद का संगीतमयी वर्णन कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। इस दौरान गिरधारी चौधरी,प्रमेन्द्र कानूनगो,महेश कानूनगो,अनिल कूलवाल,श्याम नारनौलिया,देव न्यारिया,महेन्द्र कयाल,राजाराम बाहेती सहित सैकड़ों महिला पुरूष कथा में मौजूद रहें।