लोहार्गल सूर्य मठ: माघ मास की मौनी अमावस्या के अवसर पर लोहार्गल धाम स्थित प्रसिद्ध सूर्य मठ में बुधवार को हजारों श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा। श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य कुंड में पवित्र स्नान कर सूर्य देवता की पूजा-अर्चना की। यह अवसर विशेष रूप से श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में महत्वपूर्ण माना जाता है।
स्वामी अवधेशाचार्य महाराज ने बताया कि, "स्नान के लिए सबसे शुभ समय सुबह 5:03 से 5:55 बजे तक था, जिसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है। इस समय में स्नान करना विशेष रूप से लाभकारी और पुण्यकारी माना जाता है।" स्वामी जी ने कहा कि मौनी अमावस्या पर मौन व्रत, स्नान और दान का विशेष महत्व होता है।
मौन व्रत और पूर्वजों की पूजा
श्रद्धालुओं ने न केवल सूर्य कुंड में स्नान किया, बल्कि इस दिन पूर्वजों की पूजा भी की। स्वामी अवधेशाचार्य ने बताया कि मौन व्रत रखने से मानसिक शांति प्राप्त होती है, जबकि पूर्वजों की पूजा से उनका आशीर्वाद मिलता है। यह दिन श्रद्धालुओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ-साथ आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
भक्तिमय माहौल
उमड़ी भारी भीड़ के कारण पूरे क्षेत्र में एक भक्तिमय माहौल बन गया। श्रद्धालुओं का मानना है कि मौनी अमावस्या का यह पर्व उनके जीवन में सद्गुणों को अपनाने, पुण्य कर्म करने और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरणा देने का कार्य करता है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने सूर्य देवता से सुख-समृद्धि की कामना की और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन की शुभकामनाएं दीं।
स्वामी अवधेशाचार्य ने इस पवित्र अवसर पर सभी भक्तों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि, "मौनी अमावस्या का दिन हमें आत्मसंयम, शांति और पुण्य कर्म करने का संदेश देता है। यह समय जीवन में सद्गुणों को अपनाने का है, जो हमें आध्यात्मिक रूप से प्रगति की ओर ले जाता है।"
माघ मास की मौनी अमावस्या का पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक प्रगति और आध्यात्मिक शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। लोहार्गल धाम में आयोजित इस आयोजन ने श्रद्धालुओं के हृदय में विश्वास और भक्ति का और अधिक संचार किया।