दिनांक: 24 जुलाई 2025
दिन: गुरूवार
विक्रम संवत: 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)
शक संवत: 1947
अयन: दक्षिणायन
ऋतु: वर्षा ॠतु
मास: श्रावण (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार आषाढ)
पक्ष: कृष्ण
तिथि: अमावस्या रात्रि 12:40 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र: पुनर्वसु शाम 04:43 तक तत्पश्चात पुष्य
योग: हर्षण सुबह 09:51 तक तत्पश्चात वज्र
राहुकाल: दोपहर 02:24 से शाम 04:03 तक
सूर्योदय: 06:10
सूर्यास्त: 07:19
दिशाशूल: दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण: दर्श अमावस्या, श्रावण अमावस्या, हरियाली अमावस्या, गुरुपुष्यामृत योग (शाम 04:43 से 25 जुलाई सूर्योदय तक)
विशेष:
अमावस्या व व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए। (स्कन्द पुराण)
चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।
नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए 🌷
➡ 24 जुलाई 2025 गुरुवार को अमावस्या है।
घर में हर अमावस अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें। इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी।
अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं।
अमावस्या और उसकी धार्मिक मान्यता
शास्त्रों के अनुसार (विष्णु पुराण):
अमावस्या के दिन वृक्ष, लता आदि को काटना अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ना ब्रह्महत्या के समान पाप माना गया है।
इस दिन प्रकृति को क्षति पहुँचाने से बचें।
समृद्धि बढ़ाने के उपाय (ऋण मुक्ति हेतु)
यदि कर्ज़ हो गया हो, तो:
अमावस्या के अगले दिन से पूनम तक (पूर्णिमा)
रोज़ रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्य दें।
इससे मानसिक शांति और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है।
दीक्षा में प्राप्त मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप करें।
इससे जीवन की समस्याएं स्वतः हल होती हैं।
गुरुपुष्यामृत योग (24-25 जुलाई 2025)
योग प्रारंभ:
24 जुलाई 2025, गुरुवार, शाम 04:43 बजे से
अवधि:
25 जुलाई के सूर्योदय तक
धार्मिक महत्त्व (शिव पुराण अनुसार):
पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति माना गया है।
यह नक्षत्र सभी अनिष्ट दोषों का नाश करता है।
“सर्वसिद्धिकर: पुष्य:”
इसका अर्थ है: पुष्य नक्षत्र सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करता है।
इस योग में विशेष रूप से करें:
जप
ध्यान
दान
पुण्य कार्य
ये सभी महाफलदायी माने गए हैं।
वर्जनाएं:
विवाह एवं अन्य मांगलिक कार्य इस दिन वर्जित हैं।
(स्रोत: शिव पुराण, विद्येश्वर संहिता, अध्याय 10)