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आज का पंचांग | Aaj ka Panchang | 07 AUGUST 2025



   आज का हिन्दू पंचांग  


  दिनांक - 07 अगस्त 2025

  दिन -  गुरूवार

  विक्रम संवत 2082

  शक संवत -1947

  अयन - दक्षिणायन

  ऋतु - वर्षा ॠतु 

  मास - श्रावण

 पक्ष - शुक्ल 

  तिथि - त्रयोदशी दोपहर 02:27 तक तत्पश्चात चतुर्दशी

  नक्षत्र - पूर्वाषाढा दोपहर 02:01 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा 

  योग - विष्कंभ सुबह 06:43 तक तत्पश्चात प्रीति

  राहुकाल - दोपहर 02:22 से शाम 03:59 तक

  सूर्योदय - 05:59

  सूर्यास्त -  07:12

  दिशाशूल - दक्षिण दिशा मे

  *व्रत पर्व विवरण - 

  विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


  चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण)


  चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।


           


  रक्षाबंधन के पर्व पर दस प्रकार का स्नान 


   श्रावण महिने में रक्षाबंधन की पूर्णिमा 09 अगस्त 2025 शनिवार वाले दिन वेदों में दस प्रकार का स्नान बताया गया है |


  गतांक से आगे....


5⃣ गोरज स्नान – गायों के पैरों की मिट्टी थोड़ी ले ली, और वो लगा ली | गवां ख़ुरेंम ये वेद में आता है इसका नाम है दशविद स्नान | रक्षाबंधन के दिन किया जाता है | गवां ख़ुरेंम निर्धुतं यद रेनू गग्नेगतं | सिरसा तेल सम्येते महापातक नाशनं || अपने सिर पर वो गाय की खुर की मिट्टी लगा दी तो महापातक नाशनं | ये वेद भगवान कहते हैं  |


6⃣  धान्यस्नान – जो हमारे गुरुदेव सप्तधान्य स्नान की बात बताते हैं | वो सब आश्रमों में मिलता है | गेंहूँ, चावल, जौ, चना, तिल, उड़द और मुंग ये सात चीजे | ये धान्यस्नान बताया | धान्योषौधि मनुष्याणां जीवनं परमं स्मरतं तेन स्नानेन देवेश मम पापं व्यपोहतु | सप्तधान स्नान ये भी पूनम के दिन लगाने का विधान है | 


7⃣ फल स्नान – वेद भगवान कहते हैं फल स्नान मतलब कोई भी फल का थोडा रस लगा दिया | और कोई नहीं तो आँवला बढियाँ फल है | आँवला हरा तो मिलेगा नहीं तो थोडा आँवले का पाऊडर  ले लिया और लगा दिया  गया हो फल स्नान | मतलब हमारे जीवन में अनंत फल की प्राप्ति हो और सांसारिक  फल की आसक्ति छूट जाय | इसलिए आज पूर्णिमा को हे भगवान फल के  रस से थोडा स्नान कर रहें हैं | किसी को और फल मिल जाये और थोडा लगा दिये जाय तो कोई घाटा नहीं हैं |


8⃣ सर्वोषौधि स्नान – सर्वोषौधि माना आयुर्वेदिक औषधि खाना नहीं | इस स्नान में कई जड़ीबूटी आती हैं  | उसमे दूर्वा, सरसों, हल्दी, बेलपत्र ये सब डालते हैं  उसमें वो थोडासा पाऊडर  लेके शरीर पर रगड के स्नान किया जाता है | मेरी सब इन्द्रियाँ आँख, कान, नाक, जीभ,त्वचा ये सब पवित्र हो | इसमें सर्वोषौधि स्नान, और मेरा मन पवित्र रहें| मेरे मन में किसी के प्रति बुरे विचार न आये |


9⃣ कुशोधक स्नान – कुश होता है वो थोडा पानी में मिला दिया और थोडा पानी हिला दिया | क्योंकि जो अपने घर में कुश रखते हैं ना तो उनके पास कोई मलिन आत्माएँ नहीं आ सकती | भूत, प्रेत आदि का जोर नहीं चलता | कुश क्या है ? जब भगवान का धरती पर वराह अवतार हुआ था | तो उनके शरीर से वो उखणकर जमीन पर गिरने लगे वही आज कुश के रूप में पाये जाते हैं, वो परम पवित्र है | वो कुश जहाँ पर हो वहाँ पर मलिन आत्मा नहीं आती हो तो भाग जाती हैं | तो कुश  पानी में थोडा हिला दिया और प्रार्थना कर दी की, मेरे मन में जो मलिन विचार हैं, गंदे विचार हैं  या कभी कभी आ जाते हैं वो सब भाग जाये | हरि ॐ ... हरि ॐ ... ॐ ,... करके उसे पानी में नहा दिया |


1⃣0⃣  हिरण्य स्नान – हिरण्य स्नान माने अगर अपने पास कोई सोने की चीज है | कोई सोने का गहना वो बाल्टी में डाल दिया, हिला दिया और स्नान कर लिया | हिलाने के बाद वो निकाल लेना बाल्टी में पड़ा नहीं रहे |


  तो ये दशविद स्नान वेद में बताया | श्रावण मास के पूर्णिमा का दिन किया जाता है | आप इसमें से आप जितने कर सकते हो उतने कर लेना | १ – २ न कर पाये तो जय सियाराम ... कह दें प्रभु ! हमसे जितना हो सकता था वो किया |

और जब शरीर पर पानी डाल रहे हैं तो ये श्लोक बोलना –


  नमामि गंगे तव पाद पंकजं सुरासुरैः वंदित दिव्यरूपं |

भुक्तिचं मुक्तिचं ददासनित्यं भावानुसारें न सारे न सदा स्मरानाम ||

गंगेच यमुनेच गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी | जलस्म्ये सन्निधिं कुरु ||

 ॐ ह्रीं गंगाय ॐ ह्रीं स्वाहा ||


  तीर्थों का स्मरण करते हुये स्नान करें | तो ये बड़ा पुण्यदायी स्नान श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबंधन) के दिन प्रभात को किया जाना चाहिये ऐसा वेद का आदेश है |


 समाप्त.....




  विद्यार्थी विशेष  


  विद्यार्थी पढ़ने में ज्यादा कमजोर हो तो –विद्यार्थी को सारस्वत मंत्र तो बापूजी देते ही है |


➡ पर समझो कोई बच्चा कमजोर है ज्यादा... पढ़ नहीं सकता तो उसको सिखा दें ॐ हयग्रीवाय नम : ॐ हयग्रीवाय नम : ॐ हयग्रीवाय नम : ॐ हयग्रीवाय नम :अपने आराध्य को स्मरण करके जप करें  |


   भगवान विष्णु के चौबीस अवतार थे उसमे हयग्रीव अवतार हैं | ये अग्निपुराण में अग्निदेव वशिष्ठ से कहते हैं |


  विशेष - 08 अगस्त 2025 शुक्रवार को हयग्रीव जयंती हैं ।



  पंडित रामगोपाल डोलियां