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आज का पंचांग | Aaj ka Panchang | 08 AUGUST 2025

 



  दिनांक - 08 अगस्त 2025
  दिन -  शुक्रवार
  विक्रम संवत 2082
  शक संवत -1947
  अयन - दक्षिणायन
  ऋतु - वर्षा ॠतु 
  मास - श्रावण
  पक्ष - शुक्ल 
  तिथि - चतुर्दशी दोपहर 02:12 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
  नक्षत्र - उत्तराषाढा दोपहर 02:28 तक तत्पश्चात श्रवण 
  योग - आयुष्मान 09 अगस्त प्रातः 04:09 तक तत्पश्चात सौभाग्य
  राहुकाल - सुबह 11:07 से दोपहर 12:44 तक
  सूर्योदय - 06:00
  सूर्यास्त -  07:11
  दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे
  व्रत पर्व विवरण - हरियाली पूर्णिमा,वरद लक्ष्मी व्रत
  विशेष - चतुर्दशी व पूर्णिमा एवं व्रत के दिन  तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
  चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण)
  चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।


  लक्ष्मी पूजन तिथि  
  स्कंद पुराण में लिखा है पौष मास की शुक्ल पक्ष की दसमी तिथि, चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की और सावन महिने की पूनम (श्रावणी पूनम- 09 अगस्त 2025 शनिवार) ये दिन लक्ष्मी पूजा के खास उपाय  बताये गये हैं | इन दिनों में अगर कोई आर्थिक कष्ट से जूझ रहा है | पैसों की बहुत तंगी है घर में तो 12 मंत्र लक्ष्मी माता के बोलकर, शांत बैठकर मानसिक पूजा करें  और उनको नमन करें तो उसको भगवती लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, लाभ होता है, घर में लक्ष्मी स्थायी हो जाती है | उसके घर से आर्थिक समस्याएं धीरे धीरे किनारा करती हैं  | बारह मंत्र इसप्रकार हैं –
   ॐ ऐश्‍वर्यै नम:
  ॐ कमलायै नम:
  ॐ लक्ष्मयै नम:
  ॐ चलायै नम:
 ॐ भुत्यै नम:
  ॐ हरिप्रियायै नम:
  ॐ पद्मायै नम: 
  ॐ पद्माल्यायै नम:
  ॐ संपत्यै नम:
  ॐ ऊच्चयै नम:
  ॐ श्रीयै नम: 
  ॐ पद्मधारिन्यै नम:
   सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्ति प्रदायिनि | मंत्रपूर्ते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते ||
द्वादश एतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्यय पठेत | स्थिरा लक्ष्मीर्भवेतस्य पुत्रदाराबिभिस: ||
  उसके घर में लक्ष्मी स्थिर हो जाती है | जो इन बारह नामों को इन दिनों में पठन करता है |

  रक्षाबंधनः संकल्पशक्ति का प्रतीक 
  रक्षाबंधन के दिन बहन भैया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करती है कि 'मेरा भाई भगवत्प्रेमी बने। जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्ष का ज्ञान, मोक्षमय प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आये। मेरा भाई धीर-गम्भीर हो। मेरे भैया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहे।' भाई सोचे कि 'हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, भगवत्प्रेमी बने।'
 इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है। इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्ष भर मनुष्य रक्षित हो जाता है। (भविष्य पुराण)
 रक्षाबंधन के पर्व पर बहन भाई को आयु, आरोग्य  पुष्टि की बृद्धि की भावना से राखी बाँधती है। अपना उद्देश्य ऊँचा बनाने काn संकल्प लेकर ब्राह्मण लोग जनेऊ बदलते हैं।
  समुद्र का तूफानी स्वभाव श्रावणी पूनम के बाद शांत होने लगता है। इससे जो समुद्री व्यापार करते हैं, वे नारियल फोड़ते हैं।
         

  पंडित रामगोपाल डोलियां