आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक - 16 सितम्बर 2025
दिन - मंगलवार
विक्रम संवत 2082
शक संवत -1947
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद ॠतु
मास - आश्विन
पक्ष - कृष्ण
तिथि - दशमी रात्रि 12:21 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र - आर्द्रा सुबह 06:46 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग - वरीयान रात्रि 12:34 तक तत्पश्चात परिघ
राहुकाल - शाम 03:37 से शाम 05:09 तक
सूर्योदय - 06:20
सूर्यास्त - 06:30
दिशाशूल - उत्तर दिशा मे
व्रत पर्व विवरण - दशमी का श्राद्ध
विशेष -
षडशीति संक्रान्ती
17 सितम्बर 2025 बुधवार को षडशीति संक्रान्ती है ।
पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 12:21 तक… जप,तप, ध्यान और सेवा का पूण्य 86000 गुना है !!!
इस दिन करोड़ काम छोड़कर अधिक से अधिक समय जप – ध्यान, प्रार्थना में लगायें।
एकादशी व्रत के लाभ
16 सितम्बर 2025 मंगलवार को रात्रि 12:21 से 27 सितम्बर, बुधवार को रात्रि 11:39 तक (यानी 17 सितम्बर, बुधवार को पूरा दिन) एकादशी है।
विशेष - 17 सितम्बर, बुधवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण- दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख- शांति बनी रहती है ।
धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
एकादशी के दिन करने योग्य
एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
एकादशी के दिन ये सावधानी रहे
महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है... तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है...ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा
पंडित रामगोपाल डोलियां
