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आज का पंचांग | Aaj ka Panchang | 17 SEPTEMBER 2025

 


  आज का हिन्दू पंचांग  

 दिनांक - 17 सितम्बर 2025
  दिन -  बुधवार
  विक्रम संवत 2082
  शक संवत -1947
 अयन - दक्षिणायन
  ऋतु - शरद ॠतु 
  मास - आश्विन
  पक्ष - कृष्ण 
  तिथि - एकादशी रात्रि 11:39 तक तत्पश्चात द्वादशी
  नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह 06:26 तक तत्पश्चात पुष्य
  योग - परिघ रात्रि 10:55 तक तत्पश्चात शिव
  राहुकाल - दोपहर 12:33 से दोपहर 02:05 तक 
  सूर्योदय - 06:20
  सूर्यास्त -  06:30
  दिशाशूल - उत्तर दिशा मे
  व्रत पर्व विवरण - इन्द्रिरा एकादशी,एकादशी का श्राद्ध, विश्वकर्मा पूजा, षडशीति- कन्या संक्रांति (पुण्यकाल:सूर्योदय से दोपहर 12:21 तक)

  विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।

  आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l

  एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।

  एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।

  जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।


  इंदिरा एकादशी  

  17 सितम्बर 2025 बुधवार को इंदिरा एकादशी है।

 इंदिरा एकादशी व्रत से बड़े – बड़े पापों का नाश हो जाता है | यह नीच योनियों में पड़े हुए पितरों को भी सद्गति देनेवाली है | इसका माहात्म्य पढ़ने-सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है | - पद्म पुराण


 पुष्य नक्षत्र योग  

  18 सितम्बर 2025 गुरुवार को सूर्योदय से सुबह 06:32 तक गुरुपुष्यामृत योग है ।

  १०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –
ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |...... ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |


  कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में  

 बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |


  गुरुपुष्यामृत योग  

  ‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |

  इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं | (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)



  पंडित रामगोपाल डोलियां