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आज का पंचांग | Aaj ka Panchang | 21 SEPTEMBER 2025

 


  आज का हिन्दू पंचांग  

  दिनांक - 21 सितम्बर 2025

  दिन -  रविवार

  विक्रम संवत 2082

  शक संवत -1947

  अयन - दक्षिणायन

  ऋतु - शरद ॠतु 

  मास - आश्विन

  पक्ष - कृष्ण 

  तिथि - अमावस्या 22 सितम्बर रात्रि 01:23 तक तत्पश्चात प्रतिपदा

 नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी सुबह 09:32 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी

  योग - शुभ शाम 07:53 तक तत्पश्चात शुक्ल

  राहुकाल - शाम 05:05 से शाम 06:36 तक

  सूर्योदय - 06:22

  सूर्यास्त -  06:24

  दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे

  व्रत पर्व विवरण - दर्श अमावस्या,आश्विन अमावस्या, सर्वपित्री अमावस्या का श्राद्ध अज्ञात तिथि वालो का श्राद्ध, महालय समाप्त,पितृपक्ष समाप्त,खंडग्रास सूर्यग्रहण (भारत मे नही दिखेगा,नियम पालनीय नही है)


  विशेष - अमावस्या व व्रत के दिन  तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)



  शारदीय नवरात्रिः सफलता के लिए  


  22 सितम्बर 2025 सोमवार से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ ।


  आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक शारदीय नवरात्रि पर्व होता है। यदि कोई पूरे नवरात्रि के उपवास-व्रत न कर सकता हो तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी – तीन दिन उपवास करके देवी की पूजा करने से वह संपूर्ण नवरात्रि के उपवास के फल को प्राप्त करता है।


  'श्रीमद् देवी भागवत' में आता है कि यह व्रत महासिद्धि देने वाला, धन-धान्य प्रदान करने वाला, सुख व संतान बढ़ाने वाला, आयु एवं आरोग्य वर्धक तथा स्वर्ग और मोक्ष तक देने में समर्थ है। यह व्रत शत्रुओं का दमन व बल की वृद्धि करने वाला है। महान-से-महान पापी भी यदि नवरात्रि व्रत कर ले तो संपूर्ण पापों से उसका उद्धार हो जाता है।


  नवरात्रि का उत्तम जागरण वह है कि जिसमें- शास्त्र ज्ञान की चर्चा हो, प्रज्जवलित दीपक रखा हो, देवी का भक्तिभावयुक्त कीर्तन हो, वाट्य, ताल सहित का सात्त्विक संगीत हो, मन में प्रसन्नता हो, सात्त्विक नृत्य हो, डिस्को या ऐसे दूसरे किसी नृत्य का आयोजन न हो, सात्त्विक नृत्य, कीर्तन के समय भी जगदम्बा माता के सामने दृष्टि स्थिर रखें, किसी को बुरी नजर से न देखें।


  नवरात्रि के दिनों में गरबे गाने की प्रथा है। पैर के तलुओ एवं हाथ की हथेलियों में शरीर की सभी नाड़ियों के केन्द्रबिन्दु हैं, जिन पर गरबे में दबाव पड़ने से 'एक्यूप्रेशर' का लाभ मिल जाता है एवं शरीर में नयी शक्ति-स्फूर्ति जाग जाती है। नृत्य से प्राण- अपान की गति सम होती है तो सुषुप्त शक्तियों को जागृत होने का अवसर मिलता है एवं गाने से हृदय में माँ के प्रति दिव्य भाव उमड़ता है। बहुत गाने से शक्ति क्षीण होती है।


  क्या करें क्या न करें पुस्तक से



  अमावस्या  


  21 सितम्बर 2025 रविवार को अमावस्या है ।


  अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है  (विष्णु पुराण)


     


  धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए 


  हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।


  सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गूगल, ७. गुड़, ८. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।


  विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।


  आहुति मंत्र  


  १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः

  २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः

  ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः

  ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः

  ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः




  पंडित रामगोपाल डोलियां