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प्रयागराज महाकुंभ 2025 के पवित्र जल से जयपुर में आयोजित महाशिवाभिषेक वर्ल्ड रिकॉर्ड में हुआ दर्ज।


राजस्थान की राजधानी जयपुर ने इतिहास रच दिया। प्रयागराज महाकुंभ 2025 से लाए गए पवित्र गंगाजल से शहर में अब तक का सबसे बड़ा शिव महाभिषेक आयोजित किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था और भक्ति का अद्वितीय अनुभव प्राप्त किया। यह आयोजन इतना अलौकिक और भावपूर्ण रहा कि उपस्थित लोग इसे जीवन का अविस्मरणीय क्षण मान रहे हैं।


इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को लंदन मल्टीनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कर विशेष मान्यता दी गई। राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत जी ने कार्यक्रम के मुख्य आयोजक गब्बर कटारा और RAS पंकज ओझा को सम्मानित किया और लंदन मल्टीनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा मुख्य आयोजक गब्बर कटारा और RAS पंकज ओझा को यह प्रमाण पत्र प्रदान किया।


कार्यक्रम के संरक्षक कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत जी रहे। उनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में यह आयोजन और भी भव्य एवं सफल बन पाया। गहलोत जी ने इसे “आस्था और संस्कृति का अनुपम संगम” बताते हुए जयपुरवासियों को बधाई दी।


प्रयागराज महाकुंभ से विशेष रूप से 82 हज़ार लीटर पवित्र गंगाजल बड़े बड़े टैंकरों द्वारा जयपुर लाया गया। इस जल से अलग-अलग घाटों पर पुरुषों और महिलाओं को स्नान कराया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने इस दिव्य स्नान में भाग लेकर पुण्य लाभ प्राप्त किया और वातावरण “हर-हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठा।


इस आयोजन के पोस्टर का विमोचन राजस्थान के यशस्वी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जी ने किया। इस अवसर पर राजस्थान सरकार के मंत्रीगण, जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एवं विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक हस्तियां उपस्थित रहीं। सभी ने आयोजन की सराहना करते हुए इसे राजस्थान की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा को नया आयाम देने वाला बताया।


26 फरवरी 2025 को हुए इस महाभिषेक ने जयपुर को शिवभक्ति और गंगाभक्ति के अद्भुत रंग में रंग दिया। गंगाजल से स्नान करते श्रद्धालुओं का उत्साह और भक्ति से भरा वातावरण ऐसा था जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। यह कार्यक्रम न केवल जयपुर बल्कि पूरे राजस्थान की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर में स्वर्णाक्षरों से अंकित हो गया।


इस भव्य आयोजन के मुख्य सहयोगी राजन शर्मा (मारुति कास्टिंग), अविनाश खंडेलवाल (अंबर गुटका वाले), आयोजन समिति और समस्त जयपुरवासियों का योगदान रहा, जिनकी निष्ठा और सहयोग से यह आयोजन ऐतिहासिक सफलता तक पहुँचा।