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आज का पंचांग | Aaj ka Panchang | 02 NOVEMBER 2025



आज का हिन्दू पंचांग  

   दिनांक - 02 नवम्बर 2025

  दिन - रविवार

  विक्रम संवत 2082

  शक संवत -1947

  अयन - दक्षिणायन

  ऋतु - हेमंत ॠतु 

  मास - कार्तिक

  पक्ष - शुक्ल 

  तिथि - एकादशी सुबह 07:31 तक तत्पश्चात द्वादशी

  नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद शाम 05:03 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद

  योग - व्याघात रात्रि 11:11 तक तत्पश्चात हर्षण

  राहुकाल - शाम 04:37 से शाम 06:02 तक

  सूर्योदय - 06:46

  सूर्यास्त -  05:41

  दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे

  व्रत पर्व विवरण- त्रिस्पृशा देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी (भागवत), कपूर आरती,चतुर्मास समाप्त,तुलसी विवाह प्रारंभ,

पंचक द्वादशी क्षय तिथि

  विशेष - *हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l   राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।

  आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l

  एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।

  एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।

  जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।

 

  सोमप्रदोष व्रत  

  हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महिने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 03, नवम्बर सोमवार को सोमप्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है, जानिए…

 ऐसे करें व्रत व पूजा

  - प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।

  - इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।

  - पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।

  - भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।

  - भगवान शिवजी  की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसीसे अपना व्रत भी तोड़ें।उस दिन  ब्रह्मचर्य का पालन करें।

  ये उपाय करें

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य देें। पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिवजी  को विशेष प्रिय हैं । ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी  की कृपा भी बनी रहती है और भाग्योदय भी हो सकता है।

 तुलसी  

  ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड के अनुसार

  सुधाघटसहस्रेण सा तुष्टिर्न भवेद्धरेः।

या च तुष्टिर्भवेन्नृणां तुलसीपत्रदानतः।।

गवामयुतदानेन यत्फलं लभते नरः।

तुलसीपत्रदानेन तत्फलं लभते सति।।

  हजारों घड़े अमृत से नहलाने पर भी भगवान श्रीहरि को उतनी तृप्ति नहीं होती है, जितनी वे मनुष्यों के तुलसी का एक पत्ता चढ़ाने से प्राप्त करते हैं।दस हजार गोदान से मानव जो फल प्राप्त करता है, वही फल तुलसी-पत्र के दान से पा लेता है। 

  ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार

जो पुरुष कार्तिक मास में श्रीहरि को तुलसी अर्पण करता है, वह पत्र-संख्या के बराबर युगों तक भगवान के धाम में विराजमान होता है। फिर उत्तम कुल में उसका जन्म होता और निश्चित रूप से भगवान के प्रति उसके मन में भक्ति उत्पन्न होती है, वह भारत में सुखी एवं चिरंजीवी होता है।

  शिबिराम्यन्तरे भद्रा स्थापिता तुलसी नृणाम् ।

धनपुत्रप्रदात्री च पुण्यदा हरिभक्तिदा ।।

प्रभाते तुलसीं दृष्ट्वा स्वर्णदानफलं लभेत् । ब्रह्मवैवर्तपुराण, श्रीकृष्णजन्मखण्ड, अध्याय 103)

  घरके भीतर लगायी हुई तुलसी मनुष्योंके लिये कल्याणकारिणी, धन - पुत्र प्रदान करनेवाली, पुण्यदायिनी तथा हरिभक्ति देनेवाली होती है । प्रातःकाल तुलसीका दर्शन करनेसे सुवर्ण - दानका फल प्राप्त होता है ।


  पंडित रामगोपाल डोलियां