पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जयः । पौण्ड्रं दध्मौ महाशंख भीमकर्मा वृकोदरः ॥ भावार्थ : श्रीकृष्ण महाराज ने पाञ्चजन्य नामक, अर्जुन ने दे…
Read more »ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ । माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शंखौ प्रदध्मतुः ॥ इसके अनन्तर सफेद घोड़ों से युक्त उत्तम रथ में बैठे हुए श…
Read more »ततः शंखाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखाः । सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत् ॥ भावार्थ : इसके पश्चात शंख और नगाड़े तथा ढोल, मृदंग और न…
Read more »( दोनों सेनाओं की शंख-ध्वनि का कथन ) तस्य सञ्जनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः । सिंहनादं विनद्योच्चैः शंख दध्मो प्रतापवान् ॥ भावार्थ : …
Read more »अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः । भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि ॥ भावार्थ : इसलिए सब मोर्चों पर अपनी-अपनी जगह स्थित रहते हुए…
Read more »अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् । पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् ॥ भावार्थ : भीष्म पितामह द्वारा रक्षित हमारी वह…
Read more »अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः । नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः ॥ भावार्थ : और भी मेरे लिए जीवन की आशा त्याग देने वाले…
Read more »भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः । अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥ भावार्थ : आप-द्रोणाचार्य और पितामह भीष्म तथा कर्ण …
Read more »अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम । नायका मम सैन्यस्य सञ्ज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते ॥ भावार्थ : हे ब्राह्मणश्रेष्ठ! अपने पक्ष म…
Read more »चौथा , पांचवां एवं छठा श्लोक (भगवद गीता ) अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि । युयुधानो…
Read more »दुर्योधन उवाच पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् । व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ॥ भावार्थ : हे आचार्य!…
Read more »संजय उवाच दृष्टवा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा । आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत् ॥ भावार्थ : संजय ब…
Read more »पहला श्लोक ( भगवत गीता ) धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः । मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥…
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