.
अनोखी पहल.....उत्तम विचार,नयी दिशा,सकारात्मक उर्जा
कार्यक्रम :- ""माँ की महिमा"" - 3
‘ज़मीं हो या आसमां... अधूरा बिन माँ
राजा ‘उत्तानपाद’ अपनी छोटी रानी ‘सुरुचि’ के पुत्र ‘उत्तम’ को गोदी में बिठाकर प्यार कर रहे थे, कि तभी उनकी बड़ी रानी ‘सुनीति’ के पांच वर्षीय नन्हें मासूम बालक ‘ध्रुव’ का वहाँ आना हुआ, ये दृश्य देखकर उसका बालमन भी मचल उठा और वो अपने पिता से बोला---‘पिताजी, मुझे भी अपनी गोदी में बिठाकर लाड़ करियें ना’ ।
अभी राजा कोई जवाब दे पाते कि तभी पास बैठी ‘सुरुचि’ तमककर उठी और गुस्से से बोली---‘यदि महाराजा की गोद में बैठने का इतना ही शौक हैं तो, तुझे मेरी कोख से पैदा होना चाहियें था, इस जनम में तो अब ये होने वाला नहीं, इसलियें भाग यहाँ से इस राजसिंहासन और राजगद्दी पर सिर्फ़ मेरे बेटे ‘उत्तम’ का अधिकार हैं’ ।
वो निर्दोष सुकुमार नादान बच्चा रोते हुयें अपनी माँ क पास पहुंचा और रोते-रोते ही सारा हाल कह सुनाया साथ ही अपनी सौतेली माँ ‘सुरुचि’ को बुरा बताने लगा, तब उसकी माता ‘सुनीति’ ने सबसे पहले उसके गालों में बह आयें आंसू पोंछे फिर उसे बड़े ही प्यार से गोदी में बिठाकर बोली---‘बेटा, चाहे कोई कितनी भी बुरा करें लेकिन कभी भी, किसी के लियें भी ना तो अमंगल बोलना, ना ही सोचना और क्या तुम जानते हो कि पिता से ज्यादा स्नेह और दुलार करने वाला, तुम्हारी मनोकामना पूरी करने वाला, तुम्हें इस जगत में सबसे ऊंचा स्थान देने वाला भी कोई है???
वो मासूम अपना रोना भूल तुरंत पूछने लगा—‘माँ ऐसा कौन हैं?
सुनीति बोली---‘बेटा जिसने ये सारा ब्रम्हांड रचा, सारी प्रकृति और हम सबको बनाया, हमारा पालन पोषण करते हैं , वो ही तो इस जगत के परमपिता ‘भगवान विष्णु’ कहलाते हैं, यदि तुम उनकी आराधना और पूजा करों तो वो तुम्हारी सारी इच्छायें पूर्ण कर सकते हैं और तुम्हें वो पद दे सकते हैं जिसे आज तक कोई और हासिल ना कर सका’ ।
माँ के इन वचनों ने उस छोटे से अबोध बालक पर जादुई असर किया और वो मासूम निकल पड़ा कठोर तपस्या करने जंगल की और जहाँ ‘नारदजी’ ने उसकी दृढ निश्चय को परखने उसकी परीक्षा ली मगर उसने सारी बाधाओं को पार किया और कई वर्षों के कठोर तप से भगवान विष्णु को प्रसन्न कर लिया और उन्होंने उसे अपनी गोद ‘आकाश मंडल’ में एक ‘नक्षत्र’ बना दिया और एक ऐसा सर्वोच्च अटल स्थान दिया जो आज भी कायम हैं... जिसे हम ‘ध्रुव तारे’ के नाम से जानते हैं ।
धन्य हैं वो ‘सुनीति माता’ जिसने बाल्यकाल में ही अपने बेटे को उसके जीवन का ध्येय और मार्ग बता दिया जिस पर चलकर बो बन गया अमर अटल ‘ध्रुव-तारा’...
Axact

HINDU ASTHA

हमारी कोशिश आपको सही बात पहुंचाने की है .

Post A Comment: