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हनुमान



आपने हनुमान जी की महिमा और रामचरितमानस के किष्किन्धा काण्ड में जामवंत जी द्वारा श्री हनुमान जी को उनके अद्भुत बल की याद दिलाने के बारे में जो जानकारी दी है, वह बहुत प्रेरणादायक और महत्वपूर्ण है। इस प्रसंग में जामवंत जी द्वारा हनुमान जी को उनके असाधारण बल और शक्तियों का स्मरण कराया जाता है, ताकि वे अपनी शक्ति का सही उपयोग कर सकें और रावण के दरबार तक पहुँचने के लिए अपने कार्य को पूर्ण कर सकें।

जामवंत जी का यह संवाद अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे हनुमान जी से कहते हैं:

"कवन सो काज कठिन जग माहि, जो नहीं होत तात तुम पाहि"
भावार्थ: इस संसार में ऐसा कोई कार्य नहीं है, जो आप न कर सकें। आप तो वह महान वीर हैं, जिन्होंने बचपन में सूर्य को ही निगल लिया था। आपने अपनी शक्ति का परिचय पूरी दुनिया को दिया है, तो अब क्या कोई ऐसा कार्य है, जो आप न कर सकें?
यह शेर हनुमान जी की शक्तियों को याद दिलाता है और उनके आत्मविश्वास को जागृत करता है। यह संदेश न केवल हनुमान जी के लिए है, बल्कि हम सभी के लिए एक प्रेरणा है कि अगर हमारे अंदर सही विश्वास और आत्मविश्वास हो, तो हम किसी भी कार्य को कर सकते हैं।

जामवंत जी का संदेश:
जामवंत जी ने हनुमान जी को यह भी याद दिलाया कि वे न केवल बलशाली हैं, बल्कि उनके पास बुद्धि, विवेक और अपार ज्ञान भी है। उनका यह संदेश हनुमान जी को यह समझाने का था कि वे अपनी शक्तियों को पहचाने और उनका सही उपयोग करें।

जामवंत जी ने उन्हें यह भी बताया कि यदि वे अपने भीतर के शक्ति को पहचानकर अपने कार्य को सही दिशा में करते हैं, तो न केवल सीता माता की खोज पूरी होगी, बल्कि रावण का वध और लंका को नष्ट करना भी संभव होगा।

हनुमान जी का कार्य:
हनुमान जी ने जामवंत जी की बातों को समझा और अपने आत्मबल को जागृत किया। फिर उन्होंने राम की मुद्रिका (चिह्न) को अपने मुँह में रखकर समुद्र को लाँघने का कार्य किया, जिससे उन्होंने यह साबित किया कि उनके लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं है। उनके साहस और बल के कारण ही राम की मूर्ति को समुद्र पार कर लाना और लंका तक पहुँचना संभव हुआ।

"बेगी हरो हनुमान महाप्रभु जो कछु संकट होय हमारो"
यह प्रार्थना हनुमान जी से भक्तों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है, और यह विश्वास प्रकट किया जाता है कि जैसे लक्ष्मण जी के लिए उन्होंने द्रोणगिरि पर्वत लाकर जीवनदायिनी औषधि दी थी, वैसे ही हमारे कष्टों का निवारण भी वे करेंगे।

निष्कर्ष:
आपने सही कहा है कि जब हम हनुमान जी के चरणों में विश्वास रखते हुए अपने कार्यों को प्रस्तुत करते हैं, तो भगवान हनुमान अपनी अपार शक्ति और कृपा से हमारे कष्टों को दूर करते हैं। हनुमान जी का विश्वास, शक्ति, और भक्ति हमें जीवन में चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देते हैं। यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि यदि हम अपनी शक्ति और आत्मविश्वास को पहचानें और सही दिशा में कार्य करें, तो कोई भी कार्य कठिन नहीं है।