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आज का पंचांग | Aaj ka Panchang | 10 SEPTEMBER 2025

  


 आज का हिन्दू पंचांग  



 दिनांक - 10 सितम्बर 2025

 दिन -  बुधवार

  विक्रम संवत 2082

  शक संवत -1947

  अयन - दक्षिणायन

  ऋतु - शरद ॠतु 

  मास - आश्विन

  पक्ष - कृष्ण 

  तिथि - तृतीया शाम 03:37 तक तत्पश्चात चतुर्थी

  नक्षत्र -रेवती शाम 04:03 तक तत्पश्चात अश्विनी

  योग - वृद्धि रात्रि 08:31 तक तत्पश्चात ध्रुव

  राहुकाल - दोपहर 12:35 से दोपहर 02:08 तक

  सूर्योदय - 06:17

  सूर्यास्त -  06:37

  दिशाशूल - उत्तर दिशा मे

  व्रत पर्व विवरण - तृतीया का श्राद्ध,चतुर्थी का श्राद्ध,संकष्ट चतुर्थी (चंद्रोदय रात्रि 08:19), पंचक (समाप्त:शाम 04:03)


  विशेष - तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


             


  विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए 

  10 सितम्बर 2025 बुधवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 08:19)  


  शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :


  ॐ गं गणपते नमः ।

  ॐ सोमाय नमः ।



  श्राद्ध विशेष  


  पूर्वजों को पितर पक्ष में इस मंत्र के द्वारा सूर्य भगवान को अर्ध्य देने से यमराज प्रसन्न होकर पूर्वजों को अच्छी   जगह भेज देते हैं ।


  ॐ धर्मराजाय नमः ।

 ॐ महाकालाय नमः ।

  ॐ म्रर्त्युमा नमः ।

  ॐ दानवैन्द्र नमः ।

  ॐ अनन्ताय नमः ।


  पितृ पक्ष  


 धर्म ग्रंथों के अनुसार, विधि- विधान पूर्वक श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। वर्तमान समय में देखा जाए तो विधिपूर्वक श्राद्ध कर्म करने में धन की आवश्यकता होती है। पैसा न होने पर विधिपूर्वक श्राद्ध नहीं किया जा सकता। ऐसे में पितृ दोष होने से कई प्रकार की समस्याएं जीवन में बनी रहती हैं। पुराणों के अनुसार, ऐसी स्थिति में पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त कर कुछ साधारण उपाय करने से भी पितर तृप्त हो जाते हैं।


   न कर पाएं श्राद्ध तो करें इनमें से कोई 1 उपाय, नहीं होगा पितृ दोष


  जिस स्थान पर आप पीने का पानी रखते हैं, वहां रोज शाम को शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इससे पितरों की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी। इस बात का ध्यान रखें कि वहां जूठे बर्तन कभी न रखें।


  सर्व पितृ अमावस्या के दिन चावल के आटे के 5 पिंड बनाएं व इसे लाल कपड़े में लपेटकर नदी में बहा दें।


  गाय के गोबर से बने कंडे को जलाकर उस पर गूगल के साथ घी, जौ, तिल व चावल मिलाकर घर में धूप करें।


  विष्णु भगवान के किसी मंदिर में सफेद तिल के साथ कुछ दक्षिणा (रुपए) भी दान करें।


 कच्चे दूध, जौ, तिल व चावल मिलाकर नदी में बहा दें। ये उपाय सूर्योदय के समय करें तो अच्छा रहेगा।


  श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन कराएं या सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़, सब्जी और दक्षिणा दान करें।


  श्राद्ध नहीं कर सकते तो किसी नदी में काले तिल डालकर तर्पण करें। इससे भी पितृ दोष में कमी आती है।


  श्राद्ध पक्ष में किसी विद्वान ब्राह्मण को एक मुट्ठी काले तिल दान करने से पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।


  श्राद्ध पक्ष में पितरों को याद कर गाय को हरा चारा खिला दें। इससे भी पितृ प्रसन्न व तृप्त हो जाते हैं।


  सूर्यदेव को अर्ध्य देकर प्रार्थना करें कि आप मेरे पितरों को श्राद्धयुक्त प्रणाम पहुँचाए और उन्हें तृप्त करें।


  पंडित रामगोपाल डोलियां